Uncategorized

चमत्कार और अनोखे ऐतिहासिक तथ्य से जुड़ा हैं 300 वर्षों से भी अधिक पुराना कुरूद के जलेश्वर महादेव मंदिर

मां चंडी मंदिर का इतिहास है लगभग 1200 साल से अधिक पुराना, करते है भक्तों की मनोकामना पूर्ण

कुरुद। धमतरी जिले के कुरूद नगर का गौरवपूर्ण इतिहास है। यहां मां चंडी की पावन धरा जिसे काली माता भी कहते हैं, सदैव उनकी कृपा बरसती है। इस नगर में तीन देवी-देवता साक्षात माने जाते है जिसमें मां चंडी मंदिर, जलेश्वर महादेव और दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर है। आदि अनादि काल से पूर्वजों के मुख से सदैव इनकी महिमा, इनके चमत्कार और कुरूद नगर एवं क्षेत्र पर विशेष कृपा की गाथा सुनते आ रहे हैं। समय के साथ कई ऐसे छोटे-बडे चमत्कार देखने को मिले हैं। आज यह नगर तीनों देवी देवताओं की कृपा से प्रगति कर रहा है।

मां चंडी मंदिर का इतिहास लगभग 1200 साल से अधिक पुराना है। इसे सिर्फ अनुमान के आधार पर ही बताया जा रहा है। यहां क्वार नवरात्रि में हजारों श्रद्धालुओं द्वारा मनोकामना ज्योत कलश प्रज्जवलित होते हैं। जहां पूरे छत्तीसगढ़ सहित दूसरे राज्यों से भी पहुंचते हैं। उनके बाजू में स्थित जलेश्वर महादेव मंदिर के बारे में जो पूर्वजों से सुना और जाना उसी के अनुसार कहा जा सकता है कि जलेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास भी 300 वर्षों से भी पुराना है। कुरूद नगर के जलेश्वर महादेव मंदिर के बहुत से चमत्कार और अनोखे ऐतिहासिक तथ्य जुड़े हुए हैं। कहा जाता है, कि मंदिर के पास ही भट्टर परिवार का निवासरत था जो यहां पर कृषि एवं व्यवसायिक कार्य करता था। एक दिन जो आज जलेश्वर महादेव भगवान का स्थान है वहां पर कृषि कार्य चल रहा था तभी अचानक हल चलाते समय जमीन के अंदर किसी चीज से टकराया तो वहां भयंकर चिंगारी निकली उसे देखकर लोग घबरा गये और कुछ लोगों ने मिलकर खुदाई किया तो भगवान एक शिवलिंग अवतार की एक प्रतिमा निकलती चली गई जिसे और खोदने पर वह निकलते ही चली गई। फिर कुछ लोगों एवं पंडितों की सलाह से खुदाई का कार्य बंद करा दिया गया।

कहा जाता है कि उसी रात जयकिशन भटटर को स्वप्न आया कि मेरी उसी स्थान पर तुम मंदिर का निर्माण कराओं। तब उन्होंने मंदिर का निर्माण कराया। तत्पश्चात् निसंतान जयकिशन भटटर को दो पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई। तब से भगवान शिवजी की अभिषेक व पूजा अर्चना प्रारंभ हुई जो निरंतर जारी है। आदि काल में राजिम त्रिवेण संगम स्थित श्री कुलेश्वर महादेव मंदिर का कुरूद के भगवान शिव मंदिर का अटुट संबंध बताया गया है। क्योकि बारिश में जब – जब राजिम त्रिवेण संगम स्थित श्री कुलेश्वर महादेव मंदिर जल मग्न हुए तब-तब कुरूद के भगवान शिव मंदिर का शिवलिंग जल मग्न हुए। तब से कुरूद के भगवान शिव मंदिर को जलेश्वर महादेव मंदिर कहा गया । यह प्रत्यक्ष प्रमाण के चमत्कार को बहुत सारे लोगों ने देखा भी है। कहा यह भी जाता है, जलेश्वर महादेव और कुलेश्वर महादेव आपस में जुड़े हुए हैं।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!