Uncategorized

एकादशी, प्रदोष, महाशिवरात्रि, कृष्ण जन्माष्टमी, राधा अष्टमी व्रत अवश्य रखना चाहिए- पंडित प्रदीप मिश्रा

पृथ्वी और गौ माता की महिमा का किया वर्णन, कहा गाय को रोटी देना है तीर्थ के सामान

कथा श्रवण करने लगातार तीसरे दिन पहुंची मुख्यमंत्री की पत्नी कौशल्या साय
मूलचंद सिन्हा
कुरुद। स्व. हीरालाल शर्मा श्रीधर की पुण्य स्मृति में कमलादेवी श्रीधर एवं श्रीधर परिवार द्वारा आयोजित गौरीशंकर शिव महापुराण का आयोजन कराया जा रहा है। जहां रोजाना लाखो भक्तो की भीड़ उमड़ रही है। चतुर्थ दिवस कथावाचक भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि गौमाता में 33 कोटी देवी-देवता का वास होता है वे जन्म से लेकर मृत्यु तक देना जानती है। उन्होंने आगे कहा कि माता-पिता अपने बच्चो को लायक अवश्य बनायें लेकिन बच्चों को इतना भी लायक मत बनाये कि वे आगे बढकर माता-पिता को नालायक समझे। माता-पिता ने बोलना, चलना, पढऩा लिखना सीखा कर दुनिया में रहना सिखाया। इसलिये इस दुनिया में माता-पिता से बढ़कर कुछ नही है। पं मिश्रा ने मां शब्द की महिमा बताते हुये कहा कि मां सदैव अपने ममता के आंचल में पालती है कभी हमसे कुछ अपेक्षा नहीं करती अपितु विपरित परिस्थितियों में सदैव हमारा साथ देती है। मॉ के चरणों में स्वर्ग होता है। मॉ की महिमा के साथ ही उन्होंने पृथ्वी माता और गौ माता की महिमा का वर्णन करते हुये कहा कि गाय को रोटी देना तीर्थ के सामान है तथा प्रकृति की रक्षा का संकल्प दिलाते हुये उन्होने वृक्षारोपण की प्रेरणा दी। पं. मिश्रा ने कहा कि प्रकृति को देना सीखो तो प्रकृति हमे देगा घर की मांं संस्कारो की जननी है, प्रकृति मॉ है दुनिया में मॉ ही देना जानती है। पुत्र-पुत्री जिस दिन एकादशी होगा उस दिन संकल्प ले ले अपने माता-पिता को अशब्द नही कहेगे, उंची स्वर में बात नही करेगें। माता-पिता जानते है कि अपने बच्चे को किस तरह से पालन पोषण किया पढ़ाया लिखाया। इस सृष्टि में चार माताएं पृथ्वी, प्रकृति, गौ माता और माता है जिसने हमेशा दिया है। कथावाचक पं. मिश्रा ने अपने प्रवचन में सीख देते हुये कहा कि हमे कुछ व्रत अवश्य करना चाहिए जिसमें प्रमुख रूप से एकादशी, प्रदोष, महाशिवरात्रि, कृष्ण जन्माष्टमी, राधा अष्टमी है।

उन्होने शिव महापुराण का महत्व बताते हुये कहा कि इसमें 24 हजार श्लोक है जिस प्रकार समुद्र की गहराईयों में जाकर मोती निकालते है ठीक उसी प्रकार भोले की भक्ति, भोले व सरल सहज रूप से बिना छल कपट निर्मल भाव से करने पर हम शिव रूपी मोती को प्राप्त कर सकते है। कथा में उपस्थित महिलाओं को सीख देते हुये उन्होने कहा कि नारी के माथे पर बिंदी एवं मांग पर सिंदूर हो तो उनका सम्मान सुरक्षित रहता है। उन पर कोई कुदृष्टि नही डाल सकता। ठीक उसी प्रकार राष्ट्रवाद की सीख देते हुये कहा कि राष्ट्रभाषा हिन्दी से हमारे देश का सम्मान बढता है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की धर्मपत्नी कौशल्या साय लगातार तीन दिनों से संगीतमय गौरीशंकर शिवपुराण सुनने पहुंची, और भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा का आशीर्वाद भी लिया। साथ ही नियमित रूप से कथा श्रवण करने विधायक अजय चंद्राकर, प्रतिभा चंद्राकर, अजय रंजन चंद्राकर, कमला देवी शर्मा, प्रकाश शर्मा, उर्मिला, रतन, उमा, अश्वनी शर्मा भाठापारा, निरंजन सिन्हा मुरलीधर केला, कृपाराम यादव, भानू चंद्राकर, ज्योति चंद्राकर, मालक राम साहू, भूपेंद्र चंद्राकर, त्रिलोकचंद जैन पहुंच रहे हैं।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!