गर्मी की छुट्टियों में भी बच्चे आउटडोर गेम्स में नहीं ले रहे रुचि
घर पर ही रहकर इंडोर गेम्स खेलकर बीता रहे समय
भीषण गर्मी भी इंडोर गेम्स का बना कारण, शारीरिक खेलकूद से ज्यादा मोबाईल पर खेल रहे मानसिक गेम
धमतरी। गर्मी की छुट्टियों में पहले स्कूली बच्चें या तो दादी, नानी या अन्य रिश्तेदारों के घर जाया करते थे। और छुटिट्यों के दिनों में नहर, तालाब में नहाना लुकाछिपी दौड़ भाग जैसे शारीरिक कसरत वाले खेल खेलना, बगीचों में फल तोडऩा ऐसी यादे कुछ वर्ष पहले के बच्चों की होती थी। लेकिन अब समय बदल चुका है। गर्मी की छुट्टियों में भी बच्चे घरो से बाहर कम ही निकल रहे है। घर पर ही रहकर इंडोर गेम्स खेलकर मूवी देखकर अपना समय बीता रहे है।वैसे तो आजकल के दौर में मोबाईल पर दिन बीताना आम बात हो चुकी है। लेकिन इस साल पड़ रही भीषण गर्मी के कारण भी बच्चें घरो से बाहर निकलकर फिजिकल एक्टीविटी नहीं कर पा रहे है। सुबह धूप निकलने के साथ ही गर्मी से लोग बेहाल हो रहे है। गर्म हवाओं का असर शाम ढलने के बाद तक रहता है। ऐसे में घर से बाहर निकलते ही बच्चे पसीने से तरबतर हो जाते है। इसलिए परिजन बच्चों को गार्डन या बाहर मैदान में खेलने से भी मना कर रहे है। ताकि गर्मी के चलते उनकी सेहत न बिगड़े।
बच्चे अपना समय मोबाईल पर बीता रहे है। सबसे ज्यादा मोबाईल गेम्स खेल रहे है। साथ ही बालीवुड व हालीवुड की कई फिल्मे व सीरीज देख रहे है। इनमें कुछ सीखने योग्य बाते भी होती है। और बहुत कुछ नकारात्मकता भी होती है। बच्चे ज्यादातर अच्छी बातों को छोड़कर गलत आदतो को अपनाते है। इसलिए माता-पिता को इस बात का विशेष ध्यान देना होगा कि उनके बच्चे दिन भर मोबाईल में क्या देख रहे है। विशेषकर टीनेज बच्चें जिसकी उम्र 14 से 18 के बीच होती है। काफी उत्साही और संवेदनशील मानसिकता के होते है। इस उम्र में गलत लत उनका भविष्य खराब कर सकता है। इसलिए परिजनों को बच्चों की गतिविधियों पर ध्यान देते हुए उनके खाली समय को शिक्षाप्रद व लाभप्रद बनाने हेतु विशेष प्रकार की कोचिंग जिसमें बच्चें कुछ नया सीखे या फिर आयोजित होने वाले समर कैम्प में भाग लेने प्रेरित करें।