श्री पाश्र्वनाथ जिनालय में हुई परमात्मा पाश्र्वनाथ पंच कल्याणक पूजा
आत्मा के शुद्ध हुए बिना इस संसार से मुक्ति नही मिल सकती - विशुद्ध सागर जी म.सा.
धमतरी। पांच दिवसीय आयोजन के अंतर्गत आज चतुर्थ दिन परमात्मा पाश्र्वनाथ पंच कल्याणक पूजा का आयोजन श्री पाश्र्वनाथ जिनालय में किया गया है। परम पूज्य विशुद्ध सागर जी म.सा. ने अपने आज के प्रवचन में फरमाया कि हमारे भव भ्रमण का कारण हमारा राग द्वेष है। द्वेष तो हमे बुरा लगता है लेकिन राग बुरा नही लगता। जबकि दोनो भव भ्रमण का प्रमुख कारण होता है। आज हमे ऐसे वीतराग परमात्मा के पूजा के माध्यम से रागी से वैरागी और वैरागी से वीतरगी बनने का प्रयास करना है। परमात्मा के अभिषेक के माध्यम से अपनी आत्मा के कर्म मैल को धोना है। कर्म मैल को साफ किए बिना आत्मा धवल अर्थात शुद्ध नही हो सकती। और आत्मा के शुद्ध हुए बिना इस संसार से मुक्ति नही मिल सकती।
आज की पूजा परम पूज्य उपाध्याय प्रवर महेंद्र सागर श्री जी म.सा. एवं परम पूज्य अध्यात्म योगी मनीष सागर जी म.सा. के शिष्यरत्न युवा संत परम पूज्य विशुद्ध सागर जी म.सा. आदि ठाना के सानिध्य में प्राश्र्व विचक्षाण पूजा मंडल एवं जैन जागृति महिला मंडल द्वारा सम्पन्न कराया गया। आज की पूजा में भवरलाल छाजेड़, प्रदीप लोढ़ा, रतनलाल संचेती, ज्ञानचंद बैद, लक्ष्मीलाल लूनिया, शिशिर सेठिया, अनाप राखेचा, सतीश नाहर, कुशल चोपड़ा, अंकित बरडिया, पूजा लूनिया, झनकारी डागा, बसंती नाहर, सरोज पारख, सुशीला लोढ़ा, दुर्गा दुग्गड, किरण गोलछा, सुशीला नाहर सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे।
23वें तीर्थंकर परमात्मा का कल मनाया जाएगा निर्वाण कल्याणक महोत्सव
कल प्रात: 9 बजे जय तिहुवन स्तोत्र से परमात्मा की पूजा एवं अभिषेक तथा रात्रि 8 बजे भक्ति श्री पाश्र्वनाथ जिनालय में होगी। कल के पूजा एवं भक्ति के कार्यक्रम को संपन्न कराने हेतु नमन जैनम डाकलिया खैरागढ़ उपस्थित रहेंगे। 23वें तीर्थंकर परमात्मा का निर्वाण कल्याणक महोत्सव के उपलक्ष्य में जयतिहुवन स्तोत्र के माध्यम से परमात्मा का अभिषेक होगा। इस स्तोत्र के साथ परमात्मा के अभिषेक का लाभ सर्वप्रथम सभी तपस्वियों को प्राप्त होगा। उसके बाद सुविधानुसार अन्य श्रावक श्राविकाओं को लाभ प्राप्त होगा। परमात्मा पाश्र्वनाथ भगवान को पुरुषादानी भी कहते है क्योंकि भगवान देवलोक में रहते हुए 500 कल्याणको में भाग लिए थे। भगवान की विशेषता यह भी है कि परमात्मा के जन्म से पूर्व ही परमात्मा का पूजन प्रारंभ हो गया था। और आज जैन दर्शन के अनुसार 24वें तीर्थंकर परमात्मा महावीर का शासन होने के बाद भी सर्वाधिक जैन मंदिर पाश्र्वनाथ परमात्मा के है।