गलत पैसे हर किसी को दुख देगी, हमे मिक्षामी दुक्कड़म की साधना करनी चाहिए – श्री दिव्य दर्शन मुनि जी म सा
सदर बाजार स्थानक भवन में रोजाना प्रवचन व धार्मिक आयोजन है जारी
धमतरी। श्रीमद् जैनाचार्य भगवन् 1008 श्री रामलाल जी मसा. एवं बहुश्रुत वाचनाचार्य उपाध्याय भगवन् श्री राजेश मुनि जी म.सा. की महती कृपा से शासन दीपक श्री दिव्य दर्शन मुनि जी म सा श्री लक्षित मुनि जी म सा आदि ठाणा 2 वर्षावास चातुर्मास हेतु सदर बाजार स्थानक भवन धमतरी में विराज रहे हैं। जहां रोजाना प्रवचन सुबह 8:45 से 9:45 तक हो रहा है। आज के प्रवचन में श्री दिव्य दर्शन मुनि जी म सा ने कहा कि आज हमे अपने बारे में सोचने की आवश्यकता है कि हमसे किन किन चीजों में पाप हुआ है। और जब यह पता चलेगा तो पश्चाताप होगा। छोटे-छोटे पापो से हमारे जीवन में बहुत दुख आ रहा है। अपने जीवन में दुख हो तो दूसरों के जीवन में सूख बांटे। बिना पैसे के भी दान दे सकते है। घर से निकलते ही ऐसे कितने लोग मिलते है जिन्हें मदद की जरुरत होती है लेकिन हम मदद नही करते पर्यूषण पर्व साल भर के दोषो को देखने के लिए आता है। व्यक्ति को एक मिनट का पाप भी नजर नहीं आ रहा है व्यक्ति सिर्फ बोलता है करता नहीं है। आज पाप को पाप नहीं समझ रहे है। दो आंसु पश्चाताप के केवल ज्ञान देने वाला है। आज व्यक्ति धर्म नहीं कर रहा है और न ही पश्चाताप कर रहा है। व्यक्ति दूसरों की निंदा में लगा है। दूसरों को गिराने की भावना भी पाप है। आज हम दूसरों को बढऩे देंगे तो समाज की स्थिति अलग होगी। आज समाज के कार्यो में ही पश्चाताप नहीं आ रहा है तो अकेले में कैसे पश्चाताप होगा। गलत कार्य करे तो मन में आना चाहिए कि यह पाप है। सरल बने बिना मोक्ष की प्राप्ति नहीं होगी। हम साथ में एक भी वस्तु लेकर नहीं जाएंगे। हमारी श्रद्धा जागेगी बस जगाने वाला चाहिए। व्यक्ति को स्वयं के बारे में ही ध्यान नहीं है और दूसरों की बाते करते है। जिनको सुधरना होगा उन्हें अपने अन्तरआत्मा में झांकना पड़ेगा। आज व्यक्ति को मिक्षामी दुक्कड़म की भावना को बढ़ाना होगा। आज घर बड़े-बड़े है लेकिन कपड़े छोटे हो रहे है। हमे यह देखना है कि हमारा लाभ किसमें है प्रायाश्चित सिर्फ एक आधारविधि है इसलिए संकल्प शक्ति जगाना है। आज व्यक्ति अप्रत्यक्ष रुप से केवल ज्ञानी की उपेक्षा कर रहा है। तपस्या का प्रभाव नहीं होता हमारे भाव का प्रभाव होता है। गलत पैसे हर किसी को दुख देगी हमे मिक्षामी दुक्कड़म की साधना हमे करनी चाहिए। घर में छोटे-छोटे चीज है जिनसे पाप होता। जिन शासन में जन्म लेने के बाद भी चंडाल की तरह कार्य न करें। सुख चाहिए तो सुख प्राप्त हो सकता है एक दूसरे अपेक्षा हटाईयें। निरंतर मसा के सानिध्य में तप और तपस्या का दौर चल रहा है।