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पीजी डिग्री से ज्यादा रोजगार मूलक कोर्स में रुचि दिखा रहे छात्र

कॉलेज में चल रहे एडमिशन में खाली है अब तक कई सीटे

धमतरी । एक समय था जब छात्र-छात्राएं पीजी कॉलेज में एडमिशन के लिए राह ताकते रहते थे, लेकिन अब समय बदला है छात्र-छात्राएं पीजी डीग्री से ज्यादा रोजगार मूलक कोर्सेस पर ज्यादा ध्यान दे रहे है। बता दे कि पीजी कॉलेज धमतरी में सीटे पूरी नहीं भर पाई है। 31 जुलाई तक छात्रों का नामांकन लिया गया फिर बढ़ी सीटे नहीं भार पाई इसलिए फिर से नामांकन के लिए पोर्टल खोला गया है। अब पोर्टल के माध्यम से 16 अगस्त तक एडमिशन हुआ। बता दे कि 16 जून से कॉलेजो में प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ हुई है। जो कि अब तक जारी है। इसी बीच कॉलेज के प्रवेश प्रक्रिया प्रारंभ हुई है जो कि अब तक जारी है। इसी बीच कॉलेज के प्रथम सेमेस्टर की पढ़ाई भी प्रारंभ हो चुकी है। यदि पिछले वर्ष की बात करें तो बीसीएस स्नातकोत्तर महाविद्यालय में 6 बार प्रवीण्य सूची जारी की गई थी। इसके बाद भी सभी सीटें भर नही पाई। और सितम्बर माह तक एडमिशन का दौर चला था। इसके बाद भी अन्य कॉलेजो में सभी सीटे भर नही पाई थी। इस ट्रेंड से स्पष्ट होता है कि छात्र-छात्राओं में पीजी डिग्री के प्रति रुचि घटी है। जबकि रोजगार मूलक शिक्षा पर ध्यान बढ़ा है। छात्र कौशल प्रशिक्षण में ज्यादा रुचि ले रहे है। तकनीकि शिक्षा में छात्रों की रुचि बढ़ी है। जिले में हर साल सैकड़ों युवा तकनीकि कौशल प्रशिक्षण लेते है। जिसके पश्चात इनके रोजगार की भी व्यवस्था की जाती है।


इंजीनियरिंग के प्रति घटा क्रेज
कुछ साल पहले तक इंजीनियरिंग डिग्री बीई, बी टेक करना गौरव की बात थी। लेकिन प्लेसमेंट कम होना, सरकारी विभागों में पोस्ट कम निकलना और ज्यादातर इंजीनियर खाली रहने के कारण युवाओं में इंजीनियरिंग के प्रति रुचि घटी है। छात्र-छात्राएं लाखों खर्च कर इंजीनियरिंग डिग्री लेने के बजाय शासकीय पॉलीटेक्निक कॉलेजो में डिप्लोमा या आईटीआई करना ज्यादा बेहतर मान रहे है। इसलिए इस साल भी कॉलेज व सीटे घटने के बाद भी इंजीनियरिंग की सीटे प्रदेश में फुल नहीं हो पा रही है।
भविष्य के प्रति जागरुक हो रहे युवा
आज कल के युवा इंटरनेट के माध्यम से प्रजेंट और फ्युचर स्कोप को अच्छे से जानते है। और अपने लिये क्या शिक्षा बेहतर होगी इस पर आंकलन कर कोर्स चुन रहे है। ऐसा नहीं है कि सभी पीजी कोर्स में छात्रों की कमी है। कुछ विशेष कोर्स होते है जहां आज भी छात्र-छात्राएं खुशी खुशी एडमिशन लेकर शिक्षा ग्रहण करना चाहते है। इसके अतिरिक्त कुछ युवा आगे की शिक्षा जारी न कर हुनरमंद बनने पर जोर दे रहे है।

 

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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