साधन और साधना से मिलती है सफलता- पं. चाैबे
टोटकाचार्यों के पीछे भाग रहे लोग, सामुदायिक भवन में जारी है भागवत कथा
धमतरी। स्थानीय दुबे परिवार धमतरी द्वारा विंध्यवासिनी मंदिर के पीछे सामुदायिक भवन में संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। कथावाचक पण्डरभट्टा मुंगेली निवासी पंडित सूर्यभान चाैबे है।मुख्य यजमान के रूप में दीपक दुबे धर्मपत्नी नेहा दुबे बैठे हुए है पहले दिन 20 अगस्त को वेदीपूजन के साथ कलश यात्रा निकाली गई। 21 अगस्त को महाभारत दर्शन, परीक्षित जन्म, शुकदेव जन्म की कथा हुई। 22 अगस्त को कपिलोपाख्यान, कर्दमदेवहुति चरित्र, शिव चरित्र, ध्रुव चरित्र की कथा हुई। तीसरे दिन की कथा में पंडित सूर्यभान चाैबे ने बताया कि भगवान की कथा सुनने के लिए चार बातों का ध्यान अवश्य रखना चाहिए। जिसमें काल, धान, स्थान और ज्ञान शामिल है। इन बातों को यदि हम महत्व देते हंै तो कथा सुनना सार्थक होगा। उनका कहना था कि साधना आैर साधन से ही जीवन में सफलता अिर्जत किया जा सकता है। सफलता टोटको से नहीं मिलती बल्कि इसके लिए विधान जरूरी है। आजकल लोग टोटका के पीछे बहुत भाग रहे है। यही वजह है कि देश में टोटकाचार्यों की बाढ़ आ गयी है। हमें यह समझना होगा कि भाग्य का लिखा स्वयं ब्रम्हाजी भी नहीं बदल सकते, फिर टोटकाचार्यों की क्या बिसात है। जीवन में उच्च मुकाम तक पहुंचना है तो परिश्रम करना जरूरी है। साधु-संत कथावाचक आपको सफलता का साधन बता सकते है लेकिन मेहनत तो आपको स्वयं करना होगा। आदमी के पास साधन है तो धन है आैर साधन नहीं है तो वह निर्धन है। पंडित जी ने आगे कहा कि दूसरों की सफलता पर ईर्ष्या कभी नहीं करना चाहिए। क्योंकि ईर्ष्या या जलन करने से आपका तनाव बढ़ेगा सफलता नहीं मिलेगी। हमें सफल आदमी की मेहनत देखनी चाहिए। भगवान की साधना कीजिए, भजन, कीर्तन कीजिए, इससे सफलता की राह जरूर मिलेगी।
पंडित जी ने कथा जारी रखते हुए बताया कि सृष्टि की उत्पत्ति भगवान से हुई है आैर पालनकर्ता भी वही है। हम जहां रह रहे है उसे भू-लोक कहते है। भू-लोक के ऊपर आैर नीचे 7-7 आैर लोक है। एक दृष्टांत बताते हुए पंडित चाैबे ने कहा कि कोई हमें सोने का हार देता है, कान की बालिया देता है तो हम उन्हें बार-बार धन्यवाद देते है लेकिन हार पहनने के लिए जिसने गला दिया, बालिया पहनने के लिए जिसने कान दिए उस ईश्वर का धन्यवाद करना हम भूल जाते है। संसार के रचियता स्वयं श्रीहरि है आैर हमें मानव शरीर देने वाले भी वे स्वयं है। इसलिए हमें सबसे पहले भगवान का धन्यवाद करना चाहिए।
इस अवसर पर बद्री प्रसाद दुबे, प्रमिला दुबे, शेषनारायण दुबे, दुर्गेश दुबे, नारायण दुबे, हेमा दुबे, दीपक दुबे, नेहा दुबे, सरोज पाण्डेय, अशोक पाण्डेय, सुमन पाण्डेय, उत्तम शर्मा, शशि शर्मा, कृष्णा दुबे, संध्या दुबे, गोपेश्वर पाण्डेय, विजय लक्ष्मी पाण्डेय, नीरज दुबे, अमृत दुबे, विकास दुबे, किरण दुबे, बरखा शर्मा, वर्षा शर्मा, कंचन शर्मा, जितेन्द्र शर्मा, पुष्पा शर्मा, प्रस्वाजलि तिवारी, अर्चना तिवारी, विकांत शर्मा, सुनील शर्मा यश डूबे निशु दुबे अंशुल पाण्डेय दिव्य दुबे राजा शर्मा विजयपुरी गोस्वामी गोपेश्वर पाण्डेय, नरेश श्रोती, आशा श्रोती, समेत बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।