कुरुद में मातृशक्तियों ने संतान की खुशहाली और दीर्घायु के लिए रखा हलषष्ठी व्रत, की सगरी पूजा
कुरुद में बड़े ही धूमधाम के साथ हलषष्ठी का पर्व मनाया गया। इसे कमरछठ भी कहते हैं। इस पर्व में माताएं अपने संतान की दीर्घायु और कुशलता की कामना के लिए कमरछठ या हलषष्ठी का व्रत रखती हैं।संतान की प्राप्ति और सुख समृद्धि के लिए महिलाएं ये व्रत रखती हैं। साथ ही नवविवाहित महिलाएं संतान प्राप्ति के लिए भी यह व्रत रखती हैं। आज कुरुद में महिलाओँ ने घर में या सामूहिक स्थान पर एक जगह एकत्रित होकर आंगन में दो गड्ढे खोद कर जिसे सगरी कहते हैं बनाया गया और पूजा अर्चना की.इस दिन महिलाएं अपने-अपने घरों से मिट्टी के खिलौने, बैल, शिवलिंग गौरी-गणेश इत्यादि बनाकर लाते हैं, जिन्हें सगरी के किनारे रखा जाता है। जिसकी पूजा की गई । उस सगरी में बेलपत्र, भैंस का दूध, दही, घी, फूल, कांसी के फूल, श्रृंगार का सामान, लाई और महुए का फूल चढ़ाया गया. इसके बाद महिलाएं हलषष्ठी माता व्रत की कथाएं सुनी । कुल 6 कथायें सुनाई जाती हैं। आरती के बाद पूजन खत्म होता है।खास बात यह है कि इस व्रत के दिन गाय के दूध, दही, घी का सेवन नहीं बल्कि भैंस का दूध, दही और पसहर चावल आदि का सेवन किया जाता है। पूजा करने के बाद माताएं अपने बच्चों को तिलक लगाकर कंधे के पास चंदन की पुताई लगाकर आशीर्वाद देती हैं। कुरुद में राम मंदिर के पास पुजारी पं. ईश्वर पांडे द्वारा पूजा कराई गई जिसमे ज्योति चन्द्राकर, भूमिका सिन्हा, दामिनी चन्द्राकर, तुलसी सिन्हा, गूंजन चन्द्राकर, रूकमणी देवांगन, नर्मदा चन्द्राकर, चन्द्रिका देवांगन,वंदना पांडे, पुष्पा चन्द्राकर, रेखा चन्द्राकर, द्रौपदी चन्द्राकर, अनिता बैस सहित बड़ी संख्या में महिलाये शामिल रही.