बजट जैसे महत्वपूर्ण निगम के दायित्व पर लापरवाही बरत रहे जिम्मेदार अधिकारी
शहर विकास के लिए निगम की जिम्मेदार लोगों के पास ना ही कोई विजन है और ना ही योजना-: राजेंद्र शर्मा
शहर विकास में जनप्रतिनिधियों को जोडऩे की नहीं है मंशा -:मिथिलेश सिन्हा
धमतरी। भाजपाई पार्षद राजेन्द्र शर्मा व मिथलेश सिन्हा ने कहा कि नगर निगम द्वारा 2023-24 के लिए अनुमानित आय का बजट प्रस्तुत की जाने संबंधी नगर निगम के पार्षदगणों से सुझाव हेतु आज 24 जनवरी के तिथि को अंतिम रूप दिया जा रहा है लेकिन जनप्रतिनिधियों को सूचना न देकर एक टेबल में सभी पार्षदों के सूचना पत्र को रख दिया गया है जिससे पार्षदों में आक्रोश व्याप्त है गौरतलब है कि पिछले वर्ष भी महापौर विजय देवांगन बजट प्रस्तुत नहीं कर सके थे और बैठक छोड़कर चले जाने के कारण उन्हें नगर निगम में निहित प्रावधान का सहारा लेते हुए बजट को अनुमोदन हेतु राज्य शासन को भेजना पड़ा था जिससे शहर में उनकी काफी किरकिरी हुई थी भारतीय जनता पार्टी विरोध के लिए सड़क पर धरना भी दिए थे अमूमन यही स्थिति इस वर्ष भी निर्मित हो सकती है क्योंकि आज तक सामान्य सभा की बैठक बजट के बाद नहीं किया जा चुका है ना ही नगर निगम पार्षद जैसे महत्वपूर्ण लोगों को निगम की गतिविधियों में सुझाव लेते हैं आज स्थिति यह है कि सत्ताधारी दल के पास उनके एल्डरमैन भी नहीं है क्योंकि उनकी नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा सत्ता के परिवर्तन के साथ समाप्त की जा चुकी है ऐसी स्थिति में कहा जा रहा है कि बजट बैठक का आदेश आयुक्त द्वारा निकाला जाना एक औपचारिकता है जिस पर नगर निगम के पूर्व सभापति राजेंद्र शर्मा ने कहा है कि नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में निहित प्रावधानों के तहत निगम का विकास तथा जनहित के संबंध में किए गए कार्यों का बजट सत्य को दिखाता हुआ आईना होता है इसलिए शहर के गणमान्य नागरिकों तथा चुने हुए जनप्रतिनिधियों को आपस में एक बैठक लेकर कार्य योजना बनाना चाहिए लेकिन निगम के जिम्मेदार अधिकारी जनप्रतिनिधियों में नैतिक साहस नहीं है कि वह धमतरी की जनता का सामना कर सके जिसके कारण निगम की सामान्य सभा की पहले तो बैठक नहीं करते हैं और दूसरे बजट जैसे महत्वपूर्ण कार्य के लिए अवधानिक रास्ता अपनाते हैं जो नीदनीय है जिस पर पार्षद मिथिलेश सिन्हा ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा है कि बीते 4 वर्ष में नगर निगम में जो भारा सही चला है वह फिर से दिखाई देने लगा है बजट जैसे महत्वपूर्ण निगम के अनिवार्य दायित्व में चुने हुए जनप्रतिनिधियों की अपेक्षा करना न्याय संगत नहीं है उन्होंने मांग की है कि 24 जनवरी को आगे बढ़ाकर बजट में सुझाव लेने हेतु सात दिवस का अवसर पार्षद गणों को दिया जावे।