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समय पर संभलने वाला आगे बढ़ जाता है, और न संभलने वाला पछताता है – श्री विशुद्ध सागर जी म. सा.

धमतरी । उपाध्याय प्रवर अध्यात्म योगी परम पूज्य महेंद्र सागर जी म. सा. युवा मनीषी परम पूज्य मनीष सागर जी म. सा. के शिष्य रत्न युवा संत परम पूज्य श्री विशुद्ध सागर जी म. सा. ने आज के प्रवचन के माध्यम से फरमाया कि इस जीवन की भूल भुलैया में हम ऐसे खो गए है कि कुछ भी हाथ आने वाला नही है। मानव जीवन मिलने का कोई लाभ नहीं मिल पाया। जो करना है आज ही करना है क्योंकि कल पर भरोसा करने वाला कुछ भी प्राप्त नहीं कर सकता। समय पर संभलने वाला आगे बढ़ जाता है, और न संभलने वाला पछताता है। हमने संसार में जो भी पाप कर्मों से कमाया वो अंत समय में यहीं रह जायेगा। वो सब साधन यहीं रह जायेगा लेकिन पाप कर्मों को भोगना ही पड़ेगा। लेकिन जो पुण्य कार्य करेंगे वही हमे आने वाले भव में सुख की प्राप्ति कराएगा। ज्ञानी कहते हैं ये दुनिया दुखकारी है और हम संसार में केवल दुख ही दुख पाते हैं। धर्म कार्य करने वाला ही सुखी होता है। फिर भी हम सचेत नहीं हो पा रहे है। ज्ञानी भगवंत कहते हैं जैसे बादलों से ढक जाने पर भी सूर्य की शक्ति कम नहीं होती सूर्य कभी घबराता नहीं उसी प्रकार जो श्रावक जिनवाणी का आश्रय लेकर आगे बढ़ता है वह कभी प्रतिकूल परिस्थिति आने पर भी घबराता नहीं है। वह विपरीत परिस्थितियों में भी सोने की तरह तप कर खरा अर्थात शुद्ध बन जाता है। ऐसा मानव इस असार संसार में सूर्य की तरह प्रकाशमान होता है। बारह भावना में छठवां है आश्रव भावना। आश्रव का अर्थ है आना। अर्थात आत्मा में शुभ-अशुभ कर्मो का आना आश्रव कहलाता है। आत्मा में आने वाले कर्मो का फल समयानुसार मिलता ही है। आश्रव भावना आत्मा के लिए कर्मों की जंजीर के समान है। क्योंकि आत्मा कर्मों से मुक्त होकर ही शुद्ध, बुद्ध और मुक्त बन सकता है। ज्ञानी कहते हैं आत्मा के लिए पाप कर्म लोहे की जंजीर और पुण्य कर्म सोने की जंजीर के समान है। आत्मा से कर्मो के अलग होने पर ही आत्मा परमात्मा बन सकती है। आत्मा को परमात्मा बनाना ही हमारा परम लक्ष्य होना चाहिए। ज्ञानी भगवंत आश्रव को आत्मा का प्रवेश द्वार मानते है। आश्रव भावना के पांच कारण होते है मिथ्यात्व, अविरति, प्रमाद, कषाय, क्रोध, मान, माया, लोभ। ज्ञानी कहते हैं आत्मा की तीन अवस्था होती है। शुभ, अशुभ और शुद्ध। शुभ आत्मा को सुख की प्राप्ति कराता है। अशुभ आत्मा को दुख की प्राप्ति कराता है। शुद्ध आत्मा को परम सुख, परम शांति अर्थात मोक्ष को प्राप्त कराता है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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