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दीपावली के पूर्व गूंजने लगे सुवा नृत्य

धमतरी। दीवाली पर्व में सुआ नृत्य का भी अहम महत्व होता है। क्योकि यह पारंपरिक गीत एवं नृत्य से भी दीवाली की पहचान बनी हुई है। हालांकि आधुनिकता के चकाचौंध के चलते सुआ गीत एवं नृत्य धीरे धीरे लुप्त होने की कगार पर है। इसे जीवंत रखने आज भी गांव के कुछ लोग अपने स्तर पर प्रयास में लगे हुए है। रोशनी का पर्व दीवाली सप्ताह भर ही शेष रह गया है। इसे ध्यान में रख आसपास के गांवों से बालिकाओं की सुआ नृत्य टोली शहर पहुंचने लगी है।

ये टोली घरो एवं दुकानो में दस्तक देकर पारंपरिक गीत तरी हरी न ना गाते एवं नृत्य करते हुए छत्तीसगढ़ी संस्कृति से अवगत करा रहे है। इसके एवज में लोगो द्वारा भेंट स्वरुप राशि सहित अन्य सामाग्री देकर इन बाल कलाकारो की हौसला अफजाई की जा रही है। बहरहाल बालिकाओं की सुआ गीत के साथ नृत्य करती टोलियां इन दिनो आकर्षण का केन्द्र बनी हुई है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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