सन 1881 में धमतरी बनी थी नगर पालिका, 138 सालों बाद पहली बार 2019 में कांग्रेस को मिली थी बढ़त
भाजपा को 17, कांग्रेस को 18 वार्डो में मिली थी जीत, 21 पार्षदों के समर्थन से कांग्रेस के पहले महापौर बने थे विजय देवांगन
भाजपा सत्ता पुन: हासिल करने कांग्रेस सत्ता बनाये लगायेंगी ऐड़ी चोटी का जोर
धमतरी। एक बार फिर नगरीय निकाय चुनाव का माहौल बनने लगा है। वैसे तो पिछले चुनाव अनुसार अभी तक आचार संहिता लग जाना था, लेकिन इस बार चुनाव में देरी हो रही है। लेकिन जल्द ही आरक्षण आदि प्रक्रिया सम्पन्न कर आचार संहिता लग सकती है। राजनीतिक पार्टियां भाजपा और कांग्रेस भी चुनाव पर नजर रखे हुए है। भीतरी तौर पर चुनावी तैयारियां शुरु हो चुकी है। और चुनाव का ऐलान होते ही खुलकर दोनो पार्टी के दावेदार सामने आयेंगे। अब तक धमतरी नगरीय निकाय के इतिहास की बात करें तो 27 जुलाई 1881 को धमतरी नगर पालिका गठन हुआ था। और 2014 में धमतरी अपग्रेड होकर नगर निगम बना 133 साल नगर पालिका और 5 साल नगर निगम के इतिहास के बाद 138 सालों बाद धमतरी नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस को बढ़त 2019 में मिली। इसमें भी बढ़त मात्र 1 वार्ड की थी। 2019 के निगम चुनाव में शहर के 40 वार्डो में से 17 पर भाजपा 18 वार्डो पर कांग्रेस को जीत मिली। थी। 5 वार्डो में निर्दलीय चुने गये थे, लेकिन कांग्रेस ने बाजी मारते हुए 21 पार्षदों को अपने पक्ष में किया और पहली बार धमतरी नगरीय निकाय चुनाव में कांग्रेस परचम लहरा पाई अब पुन: चुनावी समय है। इस बार भाजपा और पुराने इतिहास को दोहराते हुए फिर से धमतरी शहर की सत्ता हासिल करने व कांग्रेस सत्ता बनाये रखने ऐढ़ी चोटी का जोर लगायेगी। हालांकि इस बार चुनावी प्रक्रिया में बदलाव हुआ है। भाजपा सरकार ने अध्यक्षों व महापौर का चुनाव पार्षद के माध्यम से करने के फैसले को बदल कर सीधे मतदाताओं से चुनने का नियम बनाया है। अब देखना यह होगा कि इस बार प्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली का किसे फायदा और नुकसान होता है?
शीतलापारा में हुआ था सर्वाधिक मतदान, इन 5 वार्डो में जीते थे निर्दलीय
साल 2019 में धमतरी नगर निगम के दूसरे चुनाव में जनता ने किसी भी पार्टी को स्पष्ट जनादेश नहीं दिया था। 40 में से 17 वार्डो में भाजपा, 18 वार्डो में कांग्रेस और 5 वार्ड साल्हेवारपारा , जालमपुर, विंध्यवासिनी वार्ड, रिसाईपारा पूर्व और रामसागरपारा में निर्दलीय जीते थे। हालांकि परिणाम के बाद जालमपुर पार्षद ज्योति वाल्मिकी, विंध्यवासिनी वार्ड पार्षद कमलेश सोनकर, रिसाईपारा पूर्व पार्षद रुपेश राजपूत ने कांग्रेस को समर्थन दिया। वहीं साल्हेवारपारा पार्षद हेमंत बंजारे, रामसागरपारा पार्षद श्यामा साहू ने भाजपा को समर्थन दिया। 5 निर्वाचित पार्षद कांग्रेस भाजपा के ही बागी थे जो चुनाव बाद पुन: अपनी पार्टी में शामिल हो गये। साल 2019 के चुनाव में शहर के शीतलापारा वार्ड में सर्वाधिक 90.26 प्रतिशत और सबसे कम रिसाईपारा पश्चिम वार्ड में 65.31 प्रतिशत मतदान हुआ था।
1881 से 1921 तक धमतरी नगरपालिका में रहा पदेन अध्यक्ष
ब्रिटिश कालीन म्यूनिसपल एक्ट के अन्तर्गत धमतरी नगर पालिका का गठन अधिसूचना क्रमांक 2778 27 जुलाई 1881 से 50 एकड़ भूमि पर हुआ था। उस समय नगर पालिका की जनसंख्या 6647 थी तथा पालिका में 8 निर्वाचित एवं 3 नामजद सदस्य तहसीलदार पदेन अध्यक्ष व नायब तहसीलदार अवैतनिक सचिव हुआ यह व्यवस्था 1921 तक रही। सन 1922 में म्यूनिसपल एक्ट लागू हुआ जिसमें स्व. नारायण राव मेघावाले 14 जनवरी 1922 को प्रथम अशासकीय अध्यक्ष निर्वाचित हुए। उस समय नगर को 5 वार्डों में विभक्त किया गया था प्रत्येक वार्ड से दो सदस्य निर्वाचित हुए थे तथा अध्यक्ष का निर्वाचन चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा किया गया जिनका कार्यकाल 3 वर्ष का था। इसके बाद स्व. नत्थू जी जगताप सन 1922 से 1934 तक निर्वाचित प्रथम अध्यक्ष हुए।
1931 से अध्यक्ष को सीधे मतदाताओं को चुने जाने की प्रथा हुई प्रारंभ
सन 1931 में वार्डों का पुर्नगठन हुआ 12 वार्ड हो गये तथा 1931 से अध्यक्ष को सीधे मतदाताओं को चुने जाने की प्रथा प्रारंभ हुई उस समय नगर की जनसंख्या 14080 थी। 1941 में स्व. रामगोपाल शर्मा मतदाताओं द्वारा निर्वाचित प्रथम अध्यक्ष चुने गए। 14 नवम्बर 1946 को दूसरा चुनाव, 7 मई 1952 को तीसरा चुनाव, 10 जुलाई 1955 को चौथा चुनाव हुआ। 1961 में नगर की जनसंख्या 31552 हो गयी तथा नगर का क्षेत्रफल 287 वर्गमील था। 1969 से 1971 तक स्व. हनुमान प्रसाद मिश्रा, 1971 से 1974 तक पंडरीराव पवार अध्यक्ष रहे।