राहुल गांधी के भारत जोड़ो यात्रा में मिले जनसमर्थन से मोदी भयभीत-आनंद पवार
धमतरी .राहुल गांधी का जनता से सीधे संवाद और उनकी सहजता भाजपा के लिए गले की हड्डी बनी हुई है,जिस राहुल गांधी के व्यक्तित्व पर बट्टा लगाने के लिए भाजपा ने लाखो-करोड़ रुपये खर्च कर दिए,अपनी आई टी सेल और ट्रोल आर्मी के माध्यम से उनके भाषणों के आधे अधूरे टुकड़ो को जोड़कर जनता के बीच रखने और उन्हें बदनाम करने की साज़िश जब नाकाम हो गई तो,भाजपा ने वही रास्ता अपनाया जो कभी अंग्रेज अपनाया करते थे,देश के इतिहास में पहली बार एक ऐसे प्रकरण में किसी व्यक्ति को अधिकतम सजा सुना दी गई,जिसमें कई बड़े- बड़े प्रकरण मात्र जुर्माने के बाद ही निपटा दिए गए।
कैसे शुरू हुई ये कहानी
7 फरवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद धन्यवाद प्रस्ताव के राहुल गांधी ने हिंडनबर्ग -आडनी मामले का जिक्र किया,उन्होंने मोदी और अडानी की तस्वीर संसद में दिखाते हुए केवल एक सवाल किया कि ये रिश्ता क्या कहलाता है,बस यही बात भाजपा को खटक गई,भाजपा ने जब देखा कि वो ईडी और सीबीआई के जरिए राहुल गांधी को कोई नुकसान नही पहुँचा पा रही है तो उन्होंने उन्हें एक ऐसे केस में फसाने की साजिश की जिसमें याचिकाकर्ता ने पहले ही स्टे ले लिया था।युवा नेता आनंद पवार ने बताया कि भाजपा राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से काफ़ी परेशान हुई,संसद में अडानी मामले में उनके द्वारा पूछे गए सवालों, इंग्लैंड दौरे और अमेरिका दौरे में प्रधानमंत्री की नीतियों पर की गई टिप्पणियों में भी भाजपा को ख़ासा परेशान किया,पहले भाजपा ने उनके इन बयानों को तोड़ मरोड़ कर देश विरोधी साबित करने की साजिश की लेकिन जब वो इसमें भी सफल नही हो पाई तो भारत के लोकतंत्र द्वारा अर्जित शक्तियों का दुरूपयोग करने से भी भाजपा पीछे नही हटी,पहले तो षड्यंत्र पूर्वक उन्हें एक ऐसे मामले में सज़ा सुनाई गई जो अंग्रेजों के समय मे भी किसी को नही दी गई थी,उसके बाद इस मामले में उनकी पुनर्विचार याचिका को भी दरकिनार कर दिया गया,इस सारे घटनाक्रम को देखा जाए तो भाजपा खुद राहुल जी के उन बयानों को अपनी अलोकतांत्रिक गतिविधियों से प्रमाणित करने का काम कर रही है,गोदी मीडिया भी भाजपा के इस डर और दवाब के चलते अपनी जिम्मेदारी सही ढंग से नही निभा पा रहा है,इसलिए इस तानाशाह सरकार के विरुद्ध अब हम महात्मा गांधी के मार्ग सत्याग्रह को चुना है।