कुरूद नगर में निकली ऐतिहासिक शोभायात्रा, शामिल हुए हजारों श्रद्धालु
पद का मद कभी नही आना चाहिए -रामस्वरूपाचार्य
कुरुद। नीलम फ्रेंड्स क्लब के सरंक्षक नीलम तारणी चंद्राकर एवं परिजनों द्वारा कुरुद में आयोजित पांच दिवसीय रामकथा का शुभारंभ बुधवार से हो गया। सुबह मा चंडी की पूजा अर्चना करते हुए मंदिर परिसर से प्रारभ भव्य कलश यात्रा पूरे नगर में बाजे गाजे एवं धूमधड़ाके के साथ निकाली गई। इस ऐतिहासिक और विशाल कलश यात्रा में हजारों महिलाओं ने कलश धारण कर पीत जिसका विभिन्न संघ, संगठनों वस्त्र धारण कर पूरे नगर को भक्तिमय रंग से सराबोर कर दिया।कुरुद के पुरानी मंडी प्रांगण में पंचदिवसीय श्री रामकथा एवं शिव रुद्राभिषेक का भव्य आयोजन किया गया है। जिसमे 19 जिले चंडी मन्दिर में आयोजकों द्वारा पूजा अर्चना कर बाजे गाजे के साथ आतिशबाजी करते हुए विशाल कलश व शोभायात्रा निकाली गई।
इस भव्य और विशाल कलश ,शोभायात्रा में 5100 से भी अधिक महिला श्रद्धालुओ ने पीले वस्त्र धारण कर सिर पर कलश धारण कर पूरे कुरूद नगर को भक्ति के रंग से सराबोर कर दिया। शोभायात्रा का स्वागत विभिन्न समाज, एवं संगठनों द्धारा पुष्पवर्षा कर किया गया। कुरूद नगर में आयोजित श्री राम कथा महोत्सव में कथावाचक जगतगुरु रामस्वरूपाचार्य ने प्रथम दिवस सती चरित्र एवं शिव पार्वती विवाह के प्रसंगों से रामकथा प्रारम्भ करते हुए कहा कि भगवान की कथा को सच्चे भाव और श्रद्धा के साथ सुनना चाहिए। भगवान श्री राम अपने सच्चे श्रद्धालुओ का सदा ही भला करते हैं। इसलिए जब भी कथा सुनने जाएं विश्वास लेकर जाए संशय नहीं। उन्होंने कहा कि पद का कभी मद नहीं होना चाहिए। मद सदैव ही यश, कीर्ति और मान सम्मान का नाश कर देता है। मान सम्मान पद से नही बल्की विनम्र रहने और सम्मान देने से मिलता है। आचार्य जी ने श्रावण माह के पुरूषोत्तम मास में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम की कथा सुनने के लिए श्रोताओं को बहुत ही भाग्यशाली बताते हुए राम राम की महिमा और भक्ति की शक्ति का वर्णन किया।
कार्यक्रम में प्रभातराव मेघावाले, रमेश केला, कांति सोनवानी,रजत चंद्राकर, तारिणी चंद्राकर,तपन चंद्राकर, प्रहलाद चंद्राकर, खिलेंद्र चंद्राकर, रमेशर साहु, रमाकांत चंद्राकर, रामेश्वर प्रसाद सिन्हा सिर्री ,विनोद केला, सत्तू साहु,गीताराम सिन्हा ,राखी तपन चंद्राकर, संतोष साहु,ईश्वरी तारक ,सुमन साहू संध्या साहू ,सूर्या देवांगन, त्रिवेणी साहु, टीकेश्वरी मारकंडे आदि श्रद्धालु महिलाएं पुरुषों ने रामकथा की गंगा में जमकर डुबकी लगाई।