जनता की जेब में सरकार की डकैती योजना सितंबर से प्रभावी :- शरद लोहाना
साय सरकार ने किया बिजली बिल हाफ योजना में कटौती, बिजली दर में बढ़ोतरी

बिजली उपभोक्ताओं को सितंबर माह से भारी भरकम बिजली बिल देना होगा 20 पैसे बड़े हुए दर पर बिजली बिल 1 सितंबर से घरों में आएगा 100 यूनिट से ज्यादा उपयोग करने पर हाफ बिजली बिल योजना का लाभ भी उपभोक्ताओं को नहीं मिल पाएगा इस प्रकार बिजली उपभोक्ताओं पर एक साथ दोहरी मार पढ़ रहीं है. सरकार की इस नीति को जिला कांग्रेस अध्यक्ष शरद लोहाना ने जनता की जेब पर सरकार की डकैती बताते हुए कहा कि प्रदेश भाजपा की सुशासन वाली साय सरकार लगातार जनता को लूटने का काम कर रही है। बिजली बिल हाफ योजना की लिमिट को 400 यूनिट से घटाकर 100 यूनिट कर दिया गया है. व सरकार ने अपने कार्यकाल के 18 महीने में चौथी बार बिजली की दर में बढ़ोतरी किया है। आगे कहां की जानकारी अनुसार जिले मे 2.27 लाख बिजली उपभोक्ता है इनमें से करीब 1.62 लाख उपभोक्ताओं को बिजली बिल हाफ योजना का लाभ मिल रहा था 100 यूनिट के अनुसार लगभग 1 लाख से अधिक बिजली उपभोक्ता हाफ के लाभ से वंचित होंगे. श्री लोहाना ने आगे कहा इतिहास गवाह है कि भारतीय जनता पार्टी की सरकारों में जनता को लूटने के तरह-तरह के हथकंडे अपनाए जाते हैं। 2003 से 2018 तक भाजपा की पूर्ववर्ती रमन सरकार ने हर साल बिजली के दामों में वृद्धि की। 2003 में छत्तीसगढ़ में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए 3 रुपए 30 पैसे के दर पर बिजली मिला करती थी, जिसे 15 साल के कुशासन के बाद रमनसिंह के समय ही 6 रुपए 40 पैसे तक बढ़ाया गया, जिसे चुनाव चुनावी वर्ष 2018 में मात्र 20 पैसे घटकर 6 रुपया 20 पैसे किया गया। पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार में पूरे 5 साल का नेट वृद्धि यदि देखें तो मात्र दो पैसे का था, जो ऐतिहासिक तौर पर सबसे न्यूनतम था। छत्तीसगढ़ में घरेलू बिजली की दर में वृद्धि निम्नानुसार हुई हैं जिसमे 2003 से 04 मे 3.30, 2017 से 18 मे 6.40 (+3.10) इस प्रकार रमन सरकार में कुल वृद्धि 3 रुपए 10 पैसे अर्थात 94 प्रतिशत, 2018 से 19 और 2019 से 20 मे 5.93 (-27), 2020 से 21 मे 5.93 (0), 2021 से 22 मे 6.08 (+15), 2022 से 23 मे 6.22 (+12), 2023 से 24 मे 6.22, कांग्रेस सरकार के 5 साल में कुल वृद्धि मात्र 0.2 रुपए या 2 पैसे अर्थात केवल 0.32 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई) 2023 से 24 मे 6.22 एवं वर्तमान में 7.02 (+.80) (भाजपा की वर्तमान साय सरकार के डेढ़ साल में कुल वृद्धि 80 पैसे अर्थात 13 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई हैं)। कोयला हमारा, पानी हमारा, जमीन हमारी और हमें ही महंगे दर पर बिजली बेचा जा रहा है? भाजपा के नेता, मंत्री, विधायक और अधिकारी एसी का मजा लूट रहे, कई सरकारी विभाग बिजली का बकाया बिल जमा नहीं कर रहें, सरकारी उपक्रमों और सरकार के चहेतों का करोड़ों का बिजली बिल का भुगतान लंबित है, उसकी वसूली भी जनता से करने का कार्य सरकार कर रही है। केंद्र की मोदी सरकार के गलत नीतियों के चलते भी बिजली का उत्पादन लागत बढ़ा है, कोयले पर ग्रीन टैक्स चार गुना अधिक बढ़ा दिए, रेलवे का माल भाड़ा अधिक वसूल रहे हैं, थर्मल पॉवरप्लांट को अडानी की कंपनी से महंगे दर पर कोयला खरीदने बाध्य किया जा रहा है, डीजल पर सेंट्रल एक्साइज बढ़ाए जाने से परिवहन में और फायर के लिए उपयोग होने वाले डीजल की लागत बढ़ी है जिसकी भरपाई भी उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ाकर किया जा रहा है। आगे कहा कि 400 यूनिट हाफ योजना को बंद करना कहीं न कही यह भी संदेह पैदा करता है कि ये जो प्रधानमंत्री की सूर्य घर योजना है, जिसमें 90 प्रतिशत सोलर पैनल के विभिन्न उपकरण अडानी द्वारा उत्पादित होता है और अडानी के इसी सोलर पैनल को बेचने के लिए ही केन्द्र सरकार सब्सिडी दे रही है और राज्य सरकार ने भी सब्सिडी देना प्रारम्भकर दिया है। साथ ही महतारी वंदन योजना का जो 1000 रुपए की राशि महिलाओं को दी जा रही है, उसकी वसूली बिजली बिल बढ़ा कर व 400 यूनिट बिजली हाफ योजना बंद भी कि जा रही है।

