Uncategorized

चातुर्मास पूर्णाहुति व कार्तिक पूर्णिमा पर गुरुजनो की अगुवाई मे जैन समाज द्वारा निकाली गई भव्य शोभायात्रा

इतवारी बाजार जैन मंदिर से निकल कर शहर के प्रमुख मार्गो से होते हुए धनकेशरी मंगल भवन पहुंच कर सम्पन्न हुई शोभायात्रा

परम पूज्य उपाध्याय प्रवर स्वाध्याय प्रेमी महेंद्र सागर जी महाराज साहब एवं युवा मनीषी उपाध्याय प्रवर परम पूज्य मनीष सागर जी महाराज साहब के शिष्यरत्न परमपूज्य प्रथम सागर जी महाराज साहब एवं परम पूज्य योग वर्धन जी महाराज साहब का चातुर्मास हेतु धमतरी आगमन हुआ था। इस चार माह के चातुर्मास काल के दौरान परम पूज्य गुरु भगवंतो की पावन निश्रा में जिनवाणी श्रवण, स्वाध्याय, पूजा, आराधना साधना सहित अनेक कार्यकर्मों का आयोजन हुआ। इस चार माह के चातुर्मास काल में परम पूज्य प्रशम सागर जी महाराज साहब एवं पूज्य योगवर्धन जी महाराज साहब के मुखारविंद से पूरे धमतरी श्री संघ ने जिनवाणी श्रवण कर अपने ज्ञान में वृद्धि करते हुए आत्मविकास के मार्ग पर आगे बढ़ने का प्रयास किया। यह चार माह चातुर्मासकाल कार्तिक सुदी 14 को समाप्त हो गया। कार्तिक पूर्णिमा पर चातुर्मास पूर्णाहुति पर आज इतवारी बाजार जैन मंदिर से भव्य शोभा यात्रा निकाली गई शोभायात्रा शहर की प्रमुख मार्गो से होते हुए धनकेशरी मंगल भवन पहुंची.आज के कार्यक्रम में भंवरलाल छाजेड़, विजय गोलछा, जीवनलाल लोढ़ा, संजय लोढ़ा, अशोक पारख, संजय बरडिया, सुनील बरडिया, मोहन गोलछा, लूणकरण गोलछा, लक्ष्मीलाल लूनिया, पारसमल गोलछा, श्याम डागा, विजय बैद, मोतीलाल चोपड़ा, अमित लोढ़ा, शिशिर सेठिया, अमित राखेचा, मनोज कटारिया, देवीचंद लूनिया, दीपक पारख, अंकित बरडिया, प्रतीक बैद, कुशल चोपड़ा, नितिन बरडिया, भव्य बरडिया, संकेत बरडिया, भव्य भंसाली, प्रियल बैद, पूजा लूनिया, आस्था लूनिया, मनीषा कटारिया, निधि पारख, संजना सेठिया, अंजली लूनिया सहित बड़ी संख्या में समाजजन उपस्थित रहे.

चातुर्माकाल के विशेष आयोजन

इस चातुर्मास काल के दौरान पूज्य गुरु भगवंतो की पावन निश्रा में जन जन के आराध्य दादा गुरुदेव की पूजा जो 108 जोड़ो के साथ संपन्न हुई। अंतरिक्ष पार्श्वनाथ भगवान की भाव यात्रा कराई गई। उसके पश्चात 22वें तीर्थंकर परमात्मा नेमिनाथ जो गिरनार तीर्थ (गुजरात) से निर्माण को प्राप्त हुए थे। उस गिरनार तीर्थ का प्रतिरूप श्री पार्श्वनाथ जिनालय इतवारी बाजार में बनाया गया था। जिसकी भावयात्रा पूज्य गुरु भगवंतो द्वारा कराई गई। इस भावयात्रा के माध्यम से लगभग 350 श्रावक श्राविकाओं ने गिरनार तीर्थ यात्रा की नवानु यात्रा की। इस भावयात्रा में छोटे छोटे बच्चों सहित बड़े बुजुर्गों ने भी भाग लिया।

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व

जैन दर्शन के अनुसार आज का दिन अर्थात कार्तिक पूर्णिमा का दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। आज के दिन पहले तीर्थंकर परमात्मा आदिनाथ के पौत्र द्रविड़ और वारीखिल्ल मुनिराज 10 करोड़ लोगों के साथ अष्टापद तीर्थ अर्थात शाश्वत तीर्थ पालीताणा से मोक्ष गए थे। जैन दर्शन के अनुसार इस तीर्थ के कण कण से अनंत आत्माएं मोक्ष में गई है। इसलिए इस परम पावन तीर्थ का भी विशेष महत्व है।
कार्तिक सुदी 14 को चातुर्मास पूर्ण होने के पश्चात कार्तिक सुदी पूनम से इस सिर्फ की यात्रा पुनः प्रारंभ होती है। ऐसे तो आज के दिन पालीताणा तीर्थ पर जाकर यात्रा करनी चाहिए। किंतु अगर हम पालिताना नहीं जा पा रहे हैं, तो कम से कम अपने स्थान पर रहकर ही इस सिर्फ की भावयात्रा जरूर करनी चाहिए।

गुरुभगवंतो का विहार

आज दोपहर 3 बजे श्री पार्श्वनाथ जिनालय से परम पूज्य उपाध्याय प्रवर स्वाध्याय प्रेमी महेंद्र सागर जी महाराज साहब एवं युवा मनीषी उपाध्याय प्रवर परम पूज्य मनीष सागर जी महाराज साहब के शिष्यरत्न युवासंत परमपूज्य प्रथम सागर जी महाराज साहब एवं परम पूज्य योग वर्धन जी महाराज साहब का विहार होगा। यहां से बिहार करके आज संतोष संकेत जो पारख के निवास स्थान संतलहरी नगर पधारेंगे। कल सुबह आपका विहार दुर्ग की ओर होगा।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!