तकनीकी रोजगार के अवसरों का जिला बनने के 25 सालों बाद भी नहीं हो पाया विकास
व्यापार, उद्योग स्थापना, रोजगार के अवसर के मामले में पिछड़ा धमतरी जिला
जिले के युवा, अच्छी प्राइवेट नौकरी, सैलरी के लिये पलायन करने है मजबूर
धमतरी। धमतरी को जिला बने 25 साल होने को है बाउजूद इसके जिले का विकास नहीं हो पाया। रोजगार के अवसर नहीं बढ़े इसलिए यहां के शिक्षित होनहार युवाओं को अन्य शहरों में रोजगार हेतु पलायन करना पड़ता है।
बता दे कि 6 जुलाई 1998 को धमतरी रायपुर से अलग होकर जिला बना इसके बाद 25 वर्ष की इस अवधि में जिले का विकास पिछड़ा हुआ है। यदि रोजगार व्यापार उद्योग कारखानों की बात की जाये तो यहां इन सब के नाम पर सिर्फ राईस मिले ही है। लेकिन राईस मिलो में कारखानों, उद्योगो की तुलना में न तो इतने शिक्षित मेन पावर की आवश्यकता होती है और न ही उतनी सैलरी यहां सिर्फ दो वक्त का गुजारा संभव है। जिले में उद्योग कारखाने या वृहद व्यापार न होने के कारण रोजगार के नये अवसर उत्पन्न ही नहीं हो पाते है। इसलिए युवा उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद या तो शासकीय नौकरी की तैयारी में जुट जाते है या वे अन्य शहरों में निजी जॉब पर लग जाते है। छात्रों ने बताया कि जो जॉब और सैलरी रायपुर, भिलाई, बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा आदि स्थानों पर मिलता है उसकी तुलना में धमतरी काफी पिछड़ा हुआ है। यहां न तो उच्च तकनीकी, बिजनेस मैनेजमेंट, मेडिकल की शिक्षा की सुविधा है और न ही रोजगार के अवसर है। लोग इसे राजनेताओं की कमजोरी मानते है। धमतरी में समृद्ध जंगल है जिला वनों से अच्छादित है। नदी बांधे है वनोपज है। उद्योग कारखानों के लिए बेहतर विकल्प बन सकता है। रायपुर-बस्तर के मध्य स्थित है यह थोक चिल्हर व्यापार का बड़ा केन्द्र बन सकता है। लेकिन जनप्रतिनिधियों अधिकारियों की उदासीनता के चलते जिला हर क्षेत्र के विकास में पिछड़ता गया। इसलिए धमतरी के बाद बनने वाले कई जिले कुछ सालों में तेजी से विकास की ओर अग्रसर है। लेकिन धमतरी पिछड़ रहा है।
इंजीनियरिंग, पॉलीटेक्निक, आईटीआई छात्रों के लिए जिले में नहीं है कोई स्कोप
इंजीनियरिंग फील्ड के वर्तमान व पूर्व छात्रों ने चर्चा की और अपनी बाते रखी। आईटीआई वेल्डर ट्रेड के छात्र अंशुमन सिन्हा ने बताया कि शिक्षा पूरी करने के बाद तीन साल तक वे घर पर रहे जिले में जॉब प्राप्त करने का प्रयास किया लेकिन यहां उनके ट्ऱेड से संबधित उन्हें कार्य नहीं मिला। आखिरकार रायपुर में उन्हें एक निजी प्लांट में जॉब मिला है। लेकिन घर से दूर रहने के कारण रहने खाने व आवागमन में काफी खर्च होता है। इसी प्रकार मेकेनिकल इंजीनियर मिथिलेश साहू ने बताया कि धमतरी जिले में इंजीनियरिंग छात्रों के लिए कोई स्कोप नहीं है। यहां प्लांट के नाम पर बस गंगरेल में 10 मेगावाट का हाईड्रो पावर प्लांट है। जिसमें भी साल भर उत्पादन नहीं होता और न ही ज्यादा लोगों की आवश्यकता होती है जिले में उद्योग कारखाने स्थापित होंगे व्यापार बढ़ेगा तभी इंजीनियरिंग ट्रेड के लिए रोजगार के अवसर जिले में होगा।