मनकेसरी माता की छत्रछाया में 32 गांवो की 500 आदिवासी माताओ का हुआ सम्मान
डूबान के विकास के लिये माताओ-बहनो का योगदान सबसे महत्वपूर्ण- शशि पवार
छत्तीसगढ़ महतारी के आंचल को आदिवासी माताओ ने ही हराभरा और समृद्ध रखा हुआ है- पं. राजेश शर्मा
जनजातीय समाज को विकास की दौड़ में नई मंजिल तक मातृ शक्ति ही पहुंचा सकती है- प्रकाश शर्मा
धमतरी । धमतरी के डूबान क्षेत्र में पहली बार जनजातीय आदिवासी मातृ शक्ति के लिये सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसके आयोजक पं. राजेश शर्मा रहे। आयोजन क्षेत्र की आराध्य, शक्ति स्वरूपा माता मनकेसरी मंदिर प्रांगण में किया गया, जिसमें समाज सेवी पं. राजेश शर्मा के द्वारा, समारोह के मंच से 500 माताओ और बहनो का श्रीफल से सम्मान किया गया। रविवार के दिन आयोजित इस समारोह में डूबान क्षेत्र के 32 गांवो के ग्रामीण शामिल हुए। और सम्मानित होने वाली सभी माताए और बहने जनजातीय आदिवासी समाज से थी, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष ठाकुर शशि पवार मंचासीन रहे, कार्यक्रम के संयोजक के रूप में नगर निगम के पूर्व लोकनिर्माण सभापति प्रकाश शर्मा और जिला पंचायत सदस्य खूबलाल ध्रुव ने भूमिका निभाई। इस आयोजन में विशेष तौर पर कुमार रणसिंह, अरविंदर मुंडी, हेमलता शर्मा,बिथिका बिस्वास, सरिता यादव, रितिका यादव,नम्रता पवार, संगीता जगताप, गायत्री सोनी,इश्वरी पटवा, नीतू त्रिवेदी, रूक्मिणी सोनकर, संध्या यादव, गीता शर्मा, लता सोनी,विकास शर्मा, राजकुमार शर्मा, खूबलाल हिरवानी, आकाश पाण्डेय, और सूरज शर्मा शामिल हुए और योगदान दिया। शशि पवार ने कहा कि दुनिया की सभी प्राचीन सभ्यताओ और संस्कृतियो में से आज कुछ ही जीवित बची है, उनमें से एक है आदिवासी संस्कृति, आदिवासी बहुल इलाको में जाकर देखे तो, मिलता है कि कैसे जनजातीय माताएं और बहनें समाज के हर मोर्चे पर सक्रिय है। अब डूबान के कल्याण के लिये भी माताओ और बहनो को बड़ी भूमिका निभानी होगी, डूबान का विकास होगा तभी आपकी भावी पीढ़ी मजबूत होगी, सामथ्र्यवान होगी, शिक्षित और समृद्ध होगी।
जनजातीय माता बहनो के विनम्र सम्मान के बाद, समाजसोवी पं. राजेश शर्मा ने कहा कि जहां आदिवासी है और उनकी परंपरा जिंदा है, वही पर्यावरण सुरक्षित और समद्ध भी है, छत्तीसगढ़ में पर्यावरण समृद्ध है तो इसके लिये देश को जनजातीय समाज का कृतज्ञ होना चाहिये। छत्तीसगढ़ की बात करें तो आदिवासी ही दरअसल छत्तीसगढ़ के मूल निवासी माने जाते है, छत्तीसगढ़ की पहचान देख लें, छत्तीसगढ़ की मूल संपदा देख लें, वो आदि काल से यहां के जंगल रहे हैं, आदिवासी समाज के डीएनए में ही प्रो नेचरनेस है, धरती पर आज कोई परंयावरण का सबसे बड़ा संरक्षक है तो वो जनजातीय आदिवासी समाज है। स्व. कुंवर बाई भले पढ़ी लिखी नहीं थी, लेकिन समझ के मामले में वो पढ़े लिखे लोगो पर भारी थी। और यही कारण है कि तब देश के प्रधानमंत्री ने कुंवर बाई के पैर छुए थे। पंडित राजेश शर्मा ने अपनी तरफ से माता के मंदिर के लिये बाउंड्री वाल बनवाने का ऐलान किया। कार्यक्रम के संयोजक और धमतरी नगर निगम के पूर्व लोकनिर्माण सभापति प्रकाश शर्मा ने कहा कि, जनजातीय आदिवासी समाज का इतिहास में, देश की रक्षा में बड़ा योगदान रहा है। आप जैसी माताएं आगे बढ़ेगी तो पूरा डूबान आगे बढ़ेगा, अब आदिवासी समाज दुनिया के साथ कंधे से कंध मिला कर चल रहा है, अब जनजातीय मातृ शक्ति एक नई मंजिल की तरफ बढ़ रही है। इस अवसर पर चंद्रहास जैन जितेंद्र सिन्हा सत्यवती सिन्हा देवनाथ अनिला, फुलकैना, चंद्रवती, बसंती, सुनीता, देवकला, ललिता, राजेश्वरी, प्रभा, सत्या, भगवंतिन, कुंती, रजनी, अंबिका, सविता. मेमिन, शीतला, कामिन, भानबाई, सरिता, शारदा, रमशील, गेसाबाई, पार्वती, पवनबती, पद्मिनी, सांवली, मोनिका, गायत्री, सुखबती. वंदना, हेमतला, तीजबती,मितानिन पुनीता निषाद, सोमती मरकाम, आसो बाई, नागेश्वरी निषाद सहित बड़ी संख्या में मातृशक्ति शामिल हुए.