Uncategorized

टीनेज, युवा हो रहे है सूखा नशा के आदी

गांजा के साथ ही, बोनफिक्स, सिलोशन व माचिस की तिली से भी कर रहे नशा


पुलिस के लगातार प्रयासों के बाद सूखे नशे से दूर हो पा रहे युवा

धमतरी। जिले में लगातार नशेड़ी युवाओं की संख्या बढ़ती जा रही है। शराब के अतिरिक्त युवा सूखा नशा ज्यादा कर रहे है। यह अपराधों का भी कारण बन रहा है।ज्ञात हो कि पिछले कुछ सालों में युवा व टीनेज जो सामान्यत: 14 से 25 साल के बीच होते है। नशे के सबसे ज्यादा आदी हो रहे है। पहले पिछड़े व अशिक्षित युवा ही इस प्रकार का नशा ज्यादा करते थे, लेकिन पिछले कुछ सालों में स्कूल कॉलेजो में पढऩे वाले बच्चें शिक्षित व संभ्रात परिवार के बच्चे भी सूखा नशा करने लगे है। इससे उनकी शिक्षा सेहत और भविष्य पर भी प्रभाव पड़ रहा है। बता दे कि शहर के कई तालाबों जैसे आमातालाब रमसगरी तालाब, मकई तालाब, खोडिय़ा तालाब, कठोली तालाब महिमा सागर तालाब, कांटा तालाब सहित अन्य तालाब किनारे युवा झुण्ड में रह कर सूखा नशा करते देखे जा सकते है। इसके अतिरिक्त उद्यानों में व आसपास भी नशेड़ी युवाओं का झुण्ड जमघट लगा के रखते है। ऐसा नहीं है कि पुलिस द्वारा नशे के खिलाफ अभियान नहीं चलाया जाता या कार्रवाई नहीं की जाती लेकिन इसका विशेष प्रभाव नशेड़ी युवकों को नहीं पड़ रहा है। पुलिस विभिन्न प्रकार के नशे की लत पर रोक लगाने कार्रवाई करती है। लेकिन लगातार युवा नशे की गर्त में समा रहे है। नशेड़ी नशे के लिए कई तरीके ढुंढे लेते है। पहले ज्यादातर शराब ही नशा का साधन था लेकिन फिर गांजा से युवा नशा करने लगा है। अब गांजा के साथ ही बोनफिक्स, सिलोशन सूंघ कर नशा करते है। कुछ युवा तो गांजा खत्म होने पर माचिस की तिली से भी नशा करने से बाज नहीं आते है। युवाओं की माने तो सूखा नशा करने के बाद वे अपने में ही मस्त रहते है। उन्हें किसी प्रकार की परेशानी और चिंता का आभास नहीं होता लेकिन सच यह भी है कि आजकल चाकुबाजी लूट मारपीट करने वालो अधिकांश युवा सूखे नशे के आदि होते है। अब तक जिले में हुए कई चाकुबाजी, लूट और हत्या जैसे गंभीर अपराधों में नशेड़ी गैंग का हाथ रहा है। इसलिए सूखा नशा जो कि समाज के लिए अभिशाप बन चुका है इस पर प्रभावी कार्रवाई की आवश्यकता है।
नर्वस सिस्टम पर करता है असर
शराब सेवन की तुलना में सूखा नशा ज्यादा घातक माना जाता है। जानकारों की माने तो सूखा नशा करने वाले इसके आदि हो जाते है और आसानी से इसकी लत से छुटकारा नहीं पाते। इसके अतिरिक्त ज्यादा सूखा नशा करने वाले के नर्वस सिस्टम, मानसिक स्थिति पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। कई युवा तो अपना आत्म संतुलन भी खो बैठते है। ऐसे में उन्हें नशा मुक्ति केन्द्र भी भेजना पड़ता है। कई युवा काफी आक्रामक भी हो जाते है जो कि स्वयं व दूसरो को चोट पहुंचाने गंभीर अपराधों को अंजाम देने से भी बाज नहीं आते। इसलिए विशेषकर गांजा आदि नशे के साधनों पर निंरतर और कठोर कार्रवाई की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!