मानसून की बेरुखी:- 32 टीएमसी जलसंग्रहण वाले गंगरेल बांध मात्र 15 टीएमसी उपयोगी पानी
सिंचाई के लिए लगातार छोड़ा जा रहा बांध से पानी, अच्छी बारिश नहीं हुई तो मंडरा संकट है बांध में ही जलसंकट
5 टीएमसी पानी है अनुपयोगी, धमतरी, रायपुर नगर निगम व भिलाई स्टील प्लांट के लिए भी रहता है पानी रिजर्व
धमतरी। गंगरेल बांध प्रदेश का दूसरा सबसे बाध है। बांध की जल संग्रहण क्षमता 32.150 टीएमसी है लेकिन वर्तमान में मात्र लगभग 15 टीएमसी उपयोगी ही शेष है। चूंकि अभी तो पूरा साल बाकी है। ऐसे में यदि तेजी से पानी छोड़ा जाता रहा और बांध में अच्छी आवक नहीं हुई तो गंगरेल बांध जल संकट से घिर सकता है। ज्ञात हो कि 32.150 टीएमसी वाले गंगरेल बांध में आखिरी 5 टीएमसी पानी को बांध में ही रिजर्व रखा जाता है। यह अनुपयोगी होता है। और वर्तमान में बांध में लगभग 20 टीएमसी जल भराव है। इस प्रकार मात्र 15 टीएमसी पानी बांध में उपयोगी शेष है। वर्तमान में मानसून की बेरुखी के चलते बारिश पर ब्रेक लगा हुआ है। जिससे खेतो में फसल की ग्रोथ धीरे हो गई है। खेल सूख चुके है। फसल पर गंभीर संकट उत्पन्न हो गया था। ऐसे में किसानों की फसल बचाने गंगरेल बांध से लगातार नहर के माध्यम सिंचाई पानी छोड़ा जा रहा है। जिससे भी तेजी से बांध का जल स्तर घटा है। वर्तमान में सिंचाई हेतु पानी अनवरत छोड़ा जा रहा है जो कि अब भविष्य के लिए ंिचंता का विषय बनने लगा है। बता दे कि रविशंकर जलाशय परियोजना बहुउद्देशीय परियोजना है। इसमें सिंचाई के अतिरिक्त पेयजल, विद्युत उत्पादन, और भिलाई स्टील प्लांट को पानी सप्लाई और पर्यटन शामिल है। सिंचाई का उद्देश्य वर्तमान में तो पूरा हो रहा है। लेकिन बांध की स्थिति देखते हुए बाद में सिंचाई हेतु पानी छोड़े जाने पर शंका हो रही है। गंगरेल बांध से रायपुर और धमतरी नगर निगम की प्यास बुझाई जाती है। लगभग सवा दो टीएमसी पानी इस हेतु रिजर्व रखा जाता है। वहीं भिलाई स्टील प्लांट को भी पानी देने का कोटा निर्धारित है। बांध का पानी गर्मी के मौसम में वास्पीकृत होकर उड़ जाता है। ऐसे में गंगरेल बांध के कैचमेंट एरिया में अच्छी बारिश का इंतजार है। हालांकि मानसून आखिरी दौर में है। सिर्फ सितम्बर माह में जलभराव वाली वर्षा की उम्मीद की जा रही है। अन्यथा गंगरेल बांध जो दूसरो की प्यास बुझाती है। इस साल मानसून की बेरुखी के कारण खुद प्यासा रह सकती है।
सोंढुर, दुधावा और मॉडमसिल्ली की भी स्थिति खराब
गंगरेल बांध के सहायक बांधो की स्थिति भी खराब है। सोंढुर, दुधावा और माडमसिल्ली तीनों बांधो की कुल संग्रहण क्षमता लगभग 17 टीएमसी है। लेकिन वर्तमान में लगभग साढ़े 10 टीएमसी पानी है। मुरुमसिल्ली बांध क्षमता 5.839 टीएमसी की है। जिसमें लगभग डेढ़ टीएमसी, दुधावा बांध की क्षमता 10.192 टीएमसी की है। जिसमें साढ़े 6 टीएमसी, सोंढुर बांध की क्षमता 6.995 टीएमसी जिसमें लगभग तीन टीएमसी पानी ही है। बता दे कि अगस्त का माह ज्यादातर सूखा ही बीता है। इसलिए बांधो में पानी की मामूली आवक हुई जिससे जल स्तर बढ़ नहीं पाया।