25 सालों बाद भी पूरा नहीं हो पाया धमतरी को स्मार्ट सिटी बनाने का सपना
विकास के नाम पर ज्यादातर मूलभूत सुविधाओं तक सीमित रहा जिला, कई बहुप्रतिक्षित मांगे नहीं हो पाये पूरे
आगामी विधानसभा चुनाव में हावी रहेगा शहर विकास व स्मार्ट सिटी का मुद्दा
धमतरी। धमतरी को जिला बने 25 साल हो चुके हैं इन 25 सालों में विकास के मामले में धमतरी जिला पिछड़ा रहा बीते कुछ सालों में कई बड़ी मांगे स्वीकृत हुई लेकिन आज भी ज्यादातर मांगे अधूरी हैं मूलभूत सुविधाओं पर ही जन्म प्रतिनिधियों और सरकार का फोकस रहा जिससे स्मार्ट सिटी का सपना आज तक अधूरा ही रह गया. प्रदेश में विधानसभा चुनाव के तारीखों के ऐलान के साथ ही चुनाव आदर्श आचार संहिता लागू हो गया है राजनीतिक पार्टियां फिर से जनता के समर्थन को मोहताज होगी। प्रत्याशी जीत का आशीर्वाद लेने जनता के द्वार तक जाएंगे. हर बार चुनाव में कुछ मुद्दे हावी रहते हैं जिन पर जनता तीखे सवाल प्रत्याशियों और उनकी सरकार से करते हैं इस बार भी शहर विकास और स्मार्ट सिटी के अधूरे सपने का मुद्दा हावी रह सकता है धमतरी शहर में विकास के नाम पर सड़क नाली सामुदायिक भवन बिजली पानी स्वच्छता तक ही अब तक सरकार सीमित रही है उनमें भी संतोषजनक कार्य नहीं हुए हैं मध्य प्रदेश से अलग होकर 1 नवंबर 2000 को छत्तीसगढ़ अलग राज्य बना इसके बाद अब तक कुल पांच बार विस चुनाव हुए हैं जिसमें 8 साल कांग्रेस व 15 साल भाजपा सत्ता में रही राज्य बनने के बाद जिले के तीन विधानसभा धमतरी कुरूद और सिहावा में जनता ने सिर्फ बीजेपी कांग्रेस के प्रत्याशियों को ही विधायक चुना। शहरी व ग्रामीण सत्ता के चुनाव में भी इन दोनों ही पार्टियों का बोलबाला रहा इसलिए आगामी चुनाव में मतदाता उनके प्रत्याशियों से सवाल की झड़ी लगा सकती है. शहर में हाईटेक बस स्टैंड, गोकुल नगर, ट्रांसपोर्ट नगर, बेहतर सड़क, स्वच्छता, कानून व्यवस्था, मेडिकल, इंजीनियरिंग कॉलेज व्यावसायिक शिक्षा, थोक चिल्लर व्यापार कॉरीडोर, धूल, दुर्घटनाएं, अतिक्रमण, शहर विस्तार, तलाबो का सौंदर्यकरण, संरक्षण सहित अनेक कार्य आज भी पूरे नहीं हुए हैं. जनता विकास में पिछडऩे का कारण स्थानीय नेताओं और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता और बढ़ इच्छाशक्ति की कमी को मानते है।
अव्यवस्थित बाजार व सड़के
धमतरी शहर अब व्यवस्थित हो गया है आबादी बढऩे के साथ ही व्यापार दुकान वाहन बढ़े है लेकिन शहर सीमा सीमित ही रहा रहा आबादी बढऩे के साथ उस हिसाब से सड़के नहीं बढ़ा जिससे यातायात का दबाव बढ़ा। मुख्य मार्ग पर पार्किंग की कमी भी समस्या रही है। वहीं संकरी सड़को के किनारे कंही भी अव्यवस्थित ढंग से पसरा ठेला लगाकर व्यापार सालों से किया जा रहा है। जिससे बाजार व सड़के आवागमन अव्यवस्थित है।
निगम क्षेत्र का नहीं हो पाया विस्तार
बता दे कि सालों पहले से शहर विस्तार की आवश्यकता महसूस की जा रही है। जनप्रतिनिधियों द्वारा इस ओर प्रयास की बात कही गई। शहर से लगे आसपास के कुछ गांव को शहर में शामिल करने का प्रयास किया भी गया लेकिन सफलता नहीं मिल पाई। इससे बड़े प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने शहर में जगह की कमी बनी रहती है। कई प्रोजेक्ट के उचित स्थान शहर विकास से ही मिल पायेगा।
बायपास, बड़ी रेल लाईन जख्म पर मरहम
शहर विकास और स्मार्ट सिटी के अधूरे सपने जख्म के समान रहा है। लेकिन कुछ कार्य इस जख्म पर मरहम के समान रहे है। बायपास और बड़ी रेल लाईन की मांग सालों से शहरवासी कर रहे थे। आखिरकार बायपास बनकर पूर्ण हो चुका है। और बड़ी रेल लाईन का कार्य प्रगति पर है। जिला अस्पताल में डायलिसिस सिटी स्केन, सोनोग्राफी बर्न युनिट सहित अन्य सुविधाओं के विस्तार से लोगों को राहत मिला।