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बीता एक और कार्यकाल नहीं मिल पाये निवेशको के अरबों रुपये

जिले के 1 लाख 59 हजार निवेशकों के चिटफंड कंपनियों में सालों से फंसे है 4.23 अरब रुपये

टूट रही निवेशकों की आस सिर्फ जानकारी लेने और फार्म भराने तक सीमित रही है प्रशासन और सरकार
धमतरी । अब एक और सरकार का कार्यकाल बीतने को है सिर्फ औपचारिकता बाकी है। इन 5 सालों में भी चिटफंड निवेशकों की अरबों की फंसी रकम नहीं मिल पाई। जिससे अब धीरे धीरे निवेशकों की उम्मीद टूटते जा रही है। बता दे कि सालों पहले प्रदेश में चिटफंड कंपनियों का जाल फैला। कुकुर मुत्ते की तरह एक के बाद एक कई चिटफंड कंपनियां खूली और लोक लुभावन स्कीम के जाल में प्रदेश के भोलीभाली जनता को फंसाया। इसके लिए बाहर की कंपनियों ने सबसे पहले स्थानीय बेरोजगार युवाओं को फंसाया उन्हें भारी कमीशन और उज्जवल भविष्य का सपना दिखाकर अपना एजेंट नियुक्त किया इसके बाद अपने परिचित को उक्त कंपनियों में काम करते देख लोग कंपनियों से ज्यादा परिचितों रिश्तेदारों पर विश्वास करते हुए कंपनी के स्कीम में जमकर पैसा लगाया। शुरुवात में तो मैच्यूटी टाईम पर लोगों को स्कीम के अनुसार दोगुने, तिगुनेे रकम लौटाया गया। इससे लोगों का विश्वास और बढ़ा और लोग बढ़चढ़कर पैसा जमा करने लगे और एक समय आया जब निवेशक अरबों रुपये अपना फंसा चुके थे तब रातोरात कंपनिया गायब हो गई। और अपने पीछे निवेशकों के ताने सुनने एजेंटो को छोड़ गई। इसके बाद से सालों बीत चुका है अब तक कई सरकारों का कार्यकाल बीत चुका है। सभी के द्वारा निवेशकों की रकम हर हालात में लौटाने का वादा किया गया लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। मिली जानकारी के अनुसार जिले के 1 लाख 59 हजार निवेशकों के लगभग 4 अरब 23 करोड़ की राशि चिटफंड कंपनियों में फंसी हुई है। इनमें सनसाईन इंफ्राबिल्ड कार्पोरेशन, मिलियन माईन,सांई प्रकाश, दिव्यांनी, जीएन गोल्ड, बीएनपी, ग्री रे, एचबीएन, माइक्रो फायनेस सांई प्रसाद, जेएसबी रियल सहित सैकड़ों से छोटी बड़ी कंपनियां है। अब समय बीतने के साथ लोगों की उम्मीद टूटते जा रही है। और सरकार के वादों से भरोसा उठता जा रहा है।
रकम वापसी ऊंट के मुंह में जीरे के समान


बता दे कि सरकार व प्रशासन द्वारा पूर्व में कुछ कंपनियों पर शिंकजा कसते हुए कंपनियों के पदाधिकारियों पर कार्रवाई की गई और संपत्तियों को जब्त किया गया। फिर कोर्ट आदेश लेकर कुर्की सम्पत्ति की नीलामी कर रकम जुटाई गई जिसे निवेशकों में बांटा गया लेकिन अब तक इतने सालों में जो रकम लौटाई गई है वह ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। कई बार कोर्ट में स्टे के कारण और कंपनियों के खाते ब्लाक किये जाने के कारण प्रक्रिया अटक जाती है। लेकिन कोर्ट में सालों से चल रहा मामला लोगों की परेशानी बढ़ा रहा है।

 

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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