कोटपा एक्ट के उल्लंघन पर जुर्माने से लेकर सजा का प्रावधान लेकिन नहीं होती जांच व कार्रवाई
प्रतिबंधित स्थानों पर होता रहता है धूम्रपान, गुटका, सिगरेट, गुड़ाखू की बिक्री में हो रहा एक्ट का उल्लंघन
धमतरी। खुलेआम धूम्रपान करने व नशीली पदार्थों की बिक्री प्रतिबंधित स्थानों पर होती रहती है । इस पर रोक लगाने सरकार द्वारा सालों पहले कोटपा एक्ट लागू किया गया है लेकिन सही जांच कार्यवाही आदि नहीं होने के कारण एक्ट मात्र शोपीस बनकर रह गया है यह एक्ट सिर्फ किताबों तक सीमित रह गया है। जुर्माने व सजा का प्रावधान होने के बाद भी एक्ट का पालन नहीं हो रहा है । बता दे कि कोटपा एक्ट के तहत सार्वजनिक व प्रतिबंधित स्थानों पर धूम्रपान को रोक लगाने का प्रयास किया गया है। वहीं जर्दा युक्त गुटखा की बिक्री सिगरेट गुड़ाखू जैसे चीजों की बिक्री व उपयोग के लिए दिशा निर्देश जारी कर नियम बनाया गया है लेकिन इसका पालन जिले में नहीं हो रहा है। एक्ट के तहत शैक्षणिक संस्थानों के 100 मीटर के दायरे में तंबाकू युक्त पदार्थों की बिक्री या उपयोग पर कार्रवाई की जा सकती है । कोटपा एक्ट का पालन करने के लिए जिले में कोटपा सेल का गठन किया गया है। जिसमें नोडल अधिकारी बनाया गया है, पुलिस विभाग के उप निरीक्षक स्तर के अधिकारी व खाद्य सुरक्षा अधिकारी शामिल है। लेकिन विडंबना है कि यह सेल सिर्फ कागजों तक ही सीमित हो गया है। ना कभी गंभीरता से जांच हुई और ना ही कोई कार्रवाई।
यह है कोटपा एक्ट
अलग-अलग धाराओं के तहत अलग सजा व जुर्माने का प्रावधान है। जिसके अनुसार धारा 4 के तहत सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान पर 200 का जुर्माना, धारा 5 के तहत सिगरेट और तंबाकू उपयोग का विज्ञापन करने पर एक से 5000 का जुर्माना व 2 से 5 साल तक की सजा, धारा 6 के तहत नाबालिगों व शैक्षणिक संस्थानों के आसपास तंबाकू पदार्थों की बिक्री करने पर 200 का जुर्माना, धारा 7 8 और 9 के तहत बिना विशिष्ट चेतावनी के सिगरेट या तंबाकू उत्पादकों की बिक्री करने पर एक से 10000 तक व 1 से 5 साल तक की सजा का प्रावधान किया गया है।
बच्चों को सिगरेट गुटके की लत
नियमानुसार नाबालिक को बच्चों को सिगरेट, गुटका या गुडाखू की बिक्री नहीं करना है। बाउजूद इसके जिले में इस नियम का पालन कहीं नहीं होता। स्कूली बच्चें जिनकी उम्र 12 वर्ष से लेकर 18 वर्ष तक होती है वे चौक-चौराहो में खुलेआम धुंआ उड़ाते रहते है। कुछ स्कूलों के पास ही बच्चे ध्रुमपान करते नजर आते है। वहीं कुछ ऐसे व्यापारी है, जो बच्चों को लोगो की नजर से बचा कर धुम्रपान कराने हेतु बकायदा स्थान उपलब्ध कराया जाता है। जहां लोगो व पालकों की नजरों से बच कर आसानी से वे धुम्रपान करते रहते है। इन स्थानों पर कोटपा सेल द्वारा जांच होनी चाहिये।
सेहत पर पड़ रहा घातक प्रभाव
बचपन से ही बच्चे धुम्रपान व गुटके के आदि हो रहे है। ऐसे में उनके सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। चिकित्सकों की माने तो अल्पआयु से ही रोजाना धुम्रपान करने से औसत आयु घट सकती है। साथ ही कई प्रकार की बीमारियां हमें घेर सकती है वहीं गुटके व गुडाखू के लगातार सेवन से दांतो की विकृति होती है। साथ ही मुंह के कैंसर जैसी घातक बीमारियों का खतरा बना रहता है।