तेजी से बढ़ रही डायबिटीज के मरीजों की संख्या
खराब जीवन शैली तनाव, मोटापा, वर्कआउट नहीं करने आदि से बढ़ रहे मरीज
धमतरी । भाग दौड़ भरी जिंदगी में लोग लगातार बीमारियों की चपेट में आ रहे है। इनमें कुछ बीमारी ऐसी है जिनके चपेट में एक बार आ जाये तो जीवन पर्यन्त उससे निकल नहीं पाते है. ऐसी ही एक बीमारी है मधुमेह (डायबिटीज) यह बीमारी तुरंत नुकसान नहीं दिखाती लेकिन लांगटर्म में इसके घातक प्रभाव हमारे जीवन व शरीर पर होता है। पिछले कुछ सालों में डायबिटीज के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ी है। ज्ञात हो कि जिला अस्पताल में कई डायबिटीज के मरीज नियमित जांच व उपचार के लिए पहुंचते है। पिछले साल भर में हजारों नये मरीज सामने आए है। पहले ज्यादातर 45-50 साल की उम्र में डायबिटीज के मरीज होते थे। लेकिन अब युवा भी डायबिटीज के मरीज सामने आ रहे है।
डायबिटीज के संबंध में विशेषज्ञों व चिकित्सकों का मानना है कि खराब जीवनशैली, तनाव, मोटापा और बिना वर्कआउट आदि के कारणों से डायबिटीज मरीजों की संख्या तेजी बढ़ी है। इसके अतिरिक्त किसी बीमारी में दवाईयों के सेवन से भी कई मधुमेह की चपेट में आ जाते है। डाक्टरों के अनुसार मधुमेह दो प्रकार के होते है एक टाईप 1 दूसरा हाईप 2। टाईप 1 के मरीजों को इंसुलिन लेने की आवश्यकता होती है। जबकि टाईप 2 मरीजों में दवाईयों से ही इंसुलिन को सामान्य रखा जाता है।
देश में 10 करोड़ से अधिक, प्रदेश में 35 लाख मरीज
रिसर्च सोसायटी फार द स्टडी आफ डायबिटीज (आरएसएसडीआई) के अनुसार पूरे देश में 2023 के आंकलन के अनुसार लगभग 10 करोड़ से अधिक मधुमेह के मरीज है। वहीं छत्तीसगढ़ राज्य में 35 लाख मरीज है। इनमें बच्चे भी मधुमेह से पीडि़त है। इस प्रकार कहा जा सकता है छत्तीसगढ़ व धमतरी जिले में भी तेजी से डायबिटीज के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। बता दे कि देश भर में डायबिटीज मरीजों की कुल संख्या में छत्तीसगढ़ के लगभग 3 प्रतिशत मरीज है। धमतरी जिले में भी हजारों की संख्या डायबिटीज के मरीज है।
कोविड के बाद बढ़े डायबिटीज के मरीज, सामने आये नये लक्षण
पहले माना जाता था कि डायबिटीज बीमारी सिर्फ स्थायी ही होता है। एक बार यदि मरीज को डायबिटीज हो जाये तो वह ठीक नहीं हो सकता। लेकिन कोरोना काल के बाद से डायबिटीज के कुछ नये लक्षण भी सामने आये है। आरएसएसडीआई के अनुसार कई कोविड मरीज ठीक होने के बाद मधुमेह से पीडि़त हो गये, लेकिन कुछ महीनों के उपचार के बाद वे ठीक भी हो गये है। वहीं एक रिसर्च में पाया गया है कि यदि शुरुवाती दौर में डायबिटीज का सही उपचार किया जाये तो उसे ठीक भी किया जा सकता है।
विशेष अभियान चलाने की है आवश्यकता
उल्लेखनीय है कि लगातार बढ़ते डायबिटीज हाईपरटेशन तनाव के मरीजों की संख्या को देखते हुए एक विशेष अभियान चलाने की आवश्यकता है। पूर्व में कांग्रेस सरकार द्वारा घर-घर स्वास्थ्य कर्मी पहुंचाकर लोगों की जांच करने की योजना बनाई गई थी। प्रत्येक व्यक्ति की जांच के बाद विस्तृत डाटा तैयार किया जाना था। उसके बाद मरीजों के नियमित जांच उपचार की व्यवस्था करने की बात कही गई थी। लेकिन यह धरातल पर शुरु नहीं हो पाया।