दुर्घटना मानवीय चूक है इसे गंभीर अपराध कहना नाइंसाफी -: कांग्रेस पार्षद
भारतीय दंड संहिता में केंद्र सरकार के संशोधनो को असंगत बताते हुए कांग्रेस पार्षदों की भत्र्सना कहा एक्सीडेंटल कठोर प्रवधान हो वापस
धमतरी । केंद्र सरकार द्वारा न्यायव्यवस्था में भारतीय दंड संहिता भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता तथा विभिन्न बिंदुओं पर किए जा रहे संशोधन में दुर्घटना को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में मानते हुए आजामनतीय किया जाना तथा 10 वर्ष की सजा एवं 5 लाख रूपए का अर्थ दंड के किया जा रहे हैं प्रवधान को असंगत बताते हुए कांग्रेस के पार्षदगणो द्वारा भत्र्सना करते हुए उसे वापस लेने की मांग की है पार्षद दल के प्रवक्ता सोमेश मेश्राम द्वारा कहा गया है कि दुर्घटना महज एक मानवीय भूल है किसी प्रकार का कोई इरादतन अपराध नहीं है इसके लिए भारी भरकम दंड तथा मोटी राशि का प्रावधान किया जाना उचित नहीं है। पार्षद, राजेश ठाकुर व दीपक सोनकर ने कहा है कि हिट एवं रन के माध्यम से भारतीय दंड संहिता की धारा 304 बी का दुरुपयोग बढ़ जाएगा इससे सड़क पर स्वतंत्र रूप से पवित्रता के साथ परिवहन का धर्म निभा रहे निर्दोष वाहन चालक परेशान होंगे लंबी दूरी की ट्रांसपोर्ट व्यवस्था देश में प्रभावित हो जावेगी जिससे देश की अर्थव्यवस्था तथा आवागमन पर भी प्रभाव पड़ेगा इसलिए ऐसी नहीं व्यवस्था जो आम जनता के लिए परेशानी का कारण बन जाए संशोधन के रूप में अस्वीकार्य है। पार्षद संजय डगौर ने कहा कि पहले ही इरादतन अपराध के लिए भारतीय दंड संहिता में अलग-अलग धाराओं में अलग-अलग प्रावधान दिए जा चुके हैं इसलिए वाहन चालकों को निशाने पर रखकर संशोधन किया जाना न्याय व्यवस्था के निष्पक्ष न्याय के उद्देश्य की पूर्ति नहीं करता है। पार्षद पूर्णिम गजानंद रजक ने कहा जिस तरह से केंद्र सरकार ने कृषि के काले कानून वापस लिए वैसे ही आने वाले समय में केंद्र सरकार को ड्राईवरो के लिए बनाए ये कड़े कानून को भी वापस लेना होगा ।