हरियाली, पहाड़ों और पौराणिक मान्यताओं के भरपूर मुकुंदपुर में करोड़ो की लागत से हो रहा राम वन गमन पथ का निर्माण
श्री राम के बाद लगी सप्त ऋषियों की प्रतिमाये, ऋषियों की कथाओं का शिलालेख के माध्यम से किया जायेगा उल्लेख
श्रीराम वाटिका दीपस्तम्भ, कॉटेज सहित श्रीराम महिमा की जानकारी होगी आकर्षण का केन्द्र, पर्यटन का होगा विकास
आशीष मिन्नी
धमतरी। धमतरी जिले के विभिन्न 11 स्थानों पर वनवास काल के दौरान भगवान श्रीराम पधारे थे। विशेषकर सिहावा क्षेत्र में श्रीराम आगमन और समय व्यतीत की कथायें प्रचलित है। इसलिए जब पूर्व राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में रामवनगमन पथ का निर्माण करने की योजना बनाई तो जिले में सबसे पहले सिहावा के पास स्थित मुकुंदपुर में पथ का आधार रखा गया। पूर्व सीएम ने रामायण महोत्सव और राम वनगमन पर्यटन परिपथ अंतर्गत निर्मित भगवान श्रीराम की भव्य मूर्ति का अनावरण और अधोसंरचना निर्माण कार्यों का लोकार्पण किया।
इसके साथ ही नगरी के मुकुंदपुर में 8 करोड़ 29 लाख रूपए की लागत से भगवान श्रीराम की प्रतिमा, श्री राम वाटिका, दीप स्तंभ, एलइडी ब्राडिंग, सप्तऋषि की मूर्तियां, प्रवेश द्वार, एक कॉटेज, पार्किंग, एप्रोच रोड, पर्यटक सूचना केंद्र, कलवर्ट निर्माण, कॉटेज निर्माण, लॉन डेवलपमेंट, सीसीटीवी, यज्ञशाला, जनसुविधा केंद्र, ड्रेन, विद्युतीकरण, ओव्हरहेड वॉटर टैक, स्टेयर्स, सीढ़ी निर्माण, मॉडयूलर शॉप, सप्तऋषि स्थल का विकास, साइनेजेस, गजीबो, बाउण्ड्रीवॉल, साइट डेवलपमेंट, गार्ड रूम का निर्माण किया गया है। वहीं श्रृंगी ऋषि आश्रम सिहावा में करटेन वॉल (म्यूरल के साथ), प्रवेश द्वार, रेलिंग एवं शेड निर्माण, गजिबो, सौदर्गीकरण, विद्युतीकरण, यज्ञशाला (पहाड़ी पर), इंटरनल प्लम्बिंग, श्रृंगी ऋषि आश्रम में स्थित हनुमान मंदिर का सौंदर्गीकरण, पाथवे का विकास, जनसुविधा केंद्र सहित विभिन्न अधोसंरचना विकास कार्यों का लोकार्पण किया। यहां जब तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोकार्पण किया था तब श्रीराम की प्रतिमा ही लग पाया था इसके बाद भी काम में तेजी आई है। वर्तमान में श्रीराम की भव्य प्रतिमा के साथ दीप स्तम्भ, राम वाटिका, कॉटेज, सप्त ऋषियो स्थान और उनकी प्रतिमायें उनकी कथाओं का शिलालेख, सीढ़ी निर्माण यज्ञशाला सहित कई कार्य लगभग पूर्ण हो चुके है।
बता दे कि नगरी, सिहावा क्षेत्र हरियाली और पहाड़ी से घिरा हुआ है यहां राम वन गमन पथ का निर्माण हो जाने से यहां पर्यटन को काफी बढ़ावा मिल पायेगा। सिहावा क्षेत्र में कई आश्रम स्थानों पर श्रीराम के आगमन की कथायें है। श्रृंगी ऋषि पर्वत, श्रीराम की बहन शांता, राजा दशरथ और माता कौशल्या द्वारा पुत्र प्राप्ति हेतु श्रृंगी ऋषि से यज्ञ हवन करवाना, अंगीरा अगस्त सहित अन्य आश्रमों में वनवास काल के दौरान समय बिताना, त्रेता युग की मान्यताओं के साथ ही सिहावा क्षेत्र की मान्यतायें व कथाये श्री कृष्ण के द्वापर युग में भी रही है। अब तक यह आश्रम और स्थल ख्याति प्राप्त नहीं कर पाये् थे। लेकिन राम वन गमन पथ मुकुंदपुर के पूर्ण निर्माण के बाद पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी और पौराणिक आश्रमों की ख्याति भी दूर-दूर तक फैलेगी। बता दे कि राम वन गमन पथ के दूसरे चरण में मधुबन राकाडीह अतरमरा (अतरपुर) सीतानदी और ऐसे स्थल जहां भगवान श्रीराम के चरण पड़े थे उनका विकास हेागा।