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नये एसपी सटोरियों को मिली अघोषित छूट को करेंगे बंद?

सटोरियों पर कार्रवाई व दबाव बनाने में असफल रही है पुलिस

शहर के लगभग सभी वार्डो में 3-4 सटचोरियों सालों से है सक्रिय, कुछ आफिस में तो, कुछ घरो, दुकानो से लिख रहे सट्टा
धमतरी। धमतरी पुलिस ने वैसे तो पिछले कुछ सालों से कई बड़े अपराधों को साल्व किया। अन्य प्रदेशो के गांजा तस्करों को पकड़ा, चोर, लुटेरे, हत्यारो, शातिर बदमाशों, चाकुबाजों आदि को सलाखों के पीछे भेजा, कई अवैध शराब विक्रेताओं पर कार्रवाई की। उक्त कई अपराधों में आरोपियों को पकडऩे पुलिस को काफी हाईटेक तरीकों की मद्द लेनी पड़ी। अन्य राज्यों की दौड़ लगानी पड़ी। यहां वहां हजारों किमी भटकना पड़ा, लेकिन जब बात शहर के भीतर सालों से सक्रिय खुलेआम सट्टा लिखने वालों की आई तब धमतरी पुलिस की कार्रवाई और धार में जंग लग गया। सटोरिये साल दर साल अपना काला कारोबार बढ़ाते रहे अवैध कमाई से सम्पत्ति बनाते रहे और इधर सट्टा खेलने वाले परिवार सहित अपनी सम्पत्ति बर्बाद करते रहे। कई तो कर्ज में दबकर मर कर कई डिफाल्टर हो गये। कई परिवार टूट गये। कई ने आत्मघाती कदम उठा लिया। कई बच्चों का भविष्य अंधकारमय हुआ लेकिन पुलिस सटोरियों पर मेहरबान रही। कभी छूटपूट सटोरियों को पकड़ा गया। मामूली रकम जब्त हुई मुचलके से आरोपियों को मौके पर ही छोड़ा गया। कार्रवाई में दम नहीं होने और पुलिस के सहयोगी रवैय्ये होने से जिले में सट्टा लगातार फलता फुलता रहा। अब जिले में नये एसपी आईपीएस आंजनेय वाष्र्णेय ने चार्ज लिया है। उनसे जिलेवासियों को काफी उम्मीदे है। उन्हें तेजतर्रार अधिकारी माना जाता है। ऐसे में नये एसपी द्वारा सटोरियों के किले को ढहाया जा सकता है। लेकिन इसके लिये उनके अधिनस्थ अधिकारियों को अपनी कर्तव्य निष्ठा के साथ ईमानदारी से कार्य करना पड़ेगा। क्योंकि वर्तमान में तो शहर के लगभग सभी वार्डो में तीन से चार सटोरिये सक्रिय है। कुछ इतने नामचीन है जो शहर व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रो में काफी चर्चित है। इनमें कुछ लोगों द्वारा आफिस खोलकर सट्टा लिखा जा रहा है। कुछ तो अपने घर व दुकानों को सट्टा का अड्डा बनाये हुए है।
नये अधिनियम का नहीं पड़ा कोई प्रभाव
भूपेश सरकार द्वारा सट्टा जुआ पर रोक लगाने जुआ सट्टा प्रतिषेध अधिनियम 2022 लागू किया। इनमें जुआरियों, सटोरियों को कार्रवाई के तहत जेल भेजने ज्यादा जुर्माने की राशि का प्रावधान किया गया है। लेकिन इसके बाद भी इसका कोई असर नहीं पड़ा। अधिनियम में पेंच है कार्रवाई के दौरान ऐसी धारा लगाते है कि आरोपी मौके से छूट जाता है। ऐसे में नये अधिनियम से जो दबाव बनना था वह बन नहीं पाया और सटोरिये अभी भी बेखौफ सट्टा लिख रहा है। इसलिए जनता पूछ रही है कि सटोरियों को मिले अघोषित छूट को क्या नये एसपी बंद करा पायेंगे?

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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