पूरा गर्मी का चौसामा बाकी, बांधो में जल भराव कम होने से उत्पन्न हो सकता है जल संकट
गंगरेल बांध में लगभग साढ़े 9 टीएमसी और दुधावा, सोंढुर, माडमसिल्ली में लगभग 7 टीएमसी उपयोगी पानी ही शेष
कम वर्षा और सिंचाई आदि कार्यो में पानी की खपत होने से पतली हुई बांध की हालत
धमतरी। गंगरेल बांध एक बहुद्देशीय परियोजना है। लेकिन इसके बहुउद्देशो की पूर्ति तभी हो सकती है जब बांध में पर्याप्त पानी हो वर्तमान में बांध में लगभग जलभारव कम होते जा रहे है। अभी गर्मी का पूरा चौसामा बचा हुआ है। और बांधो की पतली हालत के कारण जल संकट उत्पन्न हो सकता है। मिली जानकारी के अनुसार गंगरेल बांध की जल भराव क्षमता 32.150 टीएमसी है। वर्तमान में बांध में 14.750 टीएमसी पानी है। जिसमें से 5 टीएमसी पानी हमेशा रिजर्व होता है। इस पानी को कभी उपयोग नहीं किया जाता है। इसलिए इसे डेड स्टोरेज कहा जाता है। इस प्रकार बांध में वर्तमान में 9.750 टीएमसी ही उपयोगी पानी है। गंगरेल बांध के अन्य सहयोगी बांधो में भी जलभराव की स्थिति खराब है। 10 टीएमसी क्षमता वाले दुधावा बांध में 2.300 टीएमसी, 6 टीएमसी क्षमता वाले सोंढुर बांध में 3.680 टीएमसी, 5 टीएमसी क्षमता वाले माडमसिल्ली बांध में 2.400 टीएमसी ही पानी है। इस प्रकार उक्त तीनों बांधो में लगभग 7 टीएमसी पानी मौजूद है। वर्तमान में गंगरेल बांध से 700 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। जिसमें 400 क्यूसेक पानी रुद्री बैराज तथा 300 क्यूसेक पानी भिलाई नहर में छोड़ा जा रहा है। मुख्य नहर से 600 क्यूसेक पानी धमतरी के लिये छोड़ा जा रहा है। इस प्रकार लगातार बांध से पेयजल आदि हेतु पानी का उपयोग किया जा रहा है। जिसके धीरे-धीरे जल संग्रहण घटेगा।
ज्ञात हो कि गंगरेल बांध के कैचमेंट एरिया में अच्छी बारिश नहीं होने से बांध लबालब नहीं हो पाया वहीं सिंचाई व अन्य आवश्यकताओं के लिए लगातार बांध से पानी छोड़ा गया जिससे पानी की खपत होते रही। ऐसे में वर्तमान में जलसंग्रहण के मामले में बांधो की स्थिति खराब है। चूंकि अभी पूरा गर्मी का मौसम बाकी है। आगामी चार महीने जल संकट की समस्या उत्पन्न हो सकती है।