शहररहित में निगम की दो दिवसीय विशेष बैठक आयोजित करने पूर्व सभापति ने आयुक्त से की मांग
साढ़े चार साल में चार बैठक कर जनता, पार्षदों को अधिकारों से किया वंचित, नागरिक करेंगी अब इंसाफ-: राजेंद्र शर्मा
धमतरी। नगर निगम का कार्यकाल लगभग समाप्ति की ओर है इसके बाद जो भी अवधि बचेगी वह मात्र औपचारिकता ही रहेगी क्योंकि लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के साथ ही इसका समापन मई माह के अंतिम सप्ताह में होगा इसके तत्काल बात बाद बरसात का मौसम प्रारंभ हो जाने से नई कार्या की स्वीकृति तथा टेंडर पर बैन लग जाएंगे और इसके साथ ही नगरीय निकाय चुनाव के चलते वार्डो का परिसीमन कार्य ,फिर वार्ड एवं महापौर पद का आरक्षण की प्रक्रिया के साथ ही निकाय चुनाव का बिगुल बज जाएगा ऐसे में माना जा रहा है कि मार्च के प्रथम सप्ताह में लगने वाले आचार संहिता के पहले एक विशेष सामान्य सभा दूसरा बजट बैठक लगातार दो दिवसीय आयोजित कर नगरहित ,निगमहित ,तथा जनहित के मुद्दों पर विशेष चर्चा की जाए यही मांग को लेकर नगर निगम के पूर्व सभापति राजेंद्र शर्मा आयुक्त विनय पोयाम के पास पहुंचे। गौरतलब है नगर निगम द्वारा पिछले 1 वर्ष में कोई बैठक आयोजित नहीं हुई है 1 वर्ष पूर्ण बजट बैठक में बजट को पास करने में महापौर असफल रहे थे और उन्होंने राज्य शासन का सहारा लिया था। कि राज्य के अन्य निगम में बजट बैठक हो चुकी है लेकिन धमतरी में अभी तक किसी प्रकार की कोई सूचना जारी नहीं हुई इससे कयास लगाया जा रहा है कि नियम के हिसाब से 3 दिन के अंदर में नोटिस फिर 7 दिन बाद निगम की बैठक आहूत किया जाना सुनिश्चित किया जाता है ऐसे में यदि प्रश्न कल बैठक में समायोजित किया जाता है तो वह प्रक्रिया 15 दिन बाद हो जाती है इसलिए मार्च के दूसरे सप्ताह में लगने वाले संभावित आचार संहिता की बाध्यता के चलते अब किसी भी हाल में बैठक 15 मार्च के आसपास ही आयोजित कि जा सकती है लेकिन वह संभव नहीं है इसलिए पूर्व सभापति राजेंद्र शर्मा ने नगर निगम में निहित प्रक्रियाओं तथा अधिनियम की धारा 30 का हवाला देते हुए विशेष सामान्य सभा आयोजित कर निगमित ,जनहित तथा पार्षदों के हित की बात कही है। श्री शर्मा ने कहा है कि नगर निगम का कार्यकाल 2020 से प्रारंभ हुआ उसके बाद से लेकर आज तक मात्र चार बैठक हुई है एक बैठक तो महापौर के हठधर्मिता की भेंट चढ़ गई और वह बैठक छोड़कर चले गए इसके लिए पूर्णता जिम्मेदार बैठक का एजेंडा तैयार करने के कर्तव्य से बंधे हुए आयुक्त, तत्पश्चात अनुमोदन करने वाले महापौर, उसके बाद बैठक बुलाने वाले सभापति है जिन्होंने जनता नगर निगम तथा चुने हुए जनप्रतिनिधि पार्षदों को उनके अधिकार से वंचित किया है आने वाले समय में जनता ही उनके साथ इंसाफ करेगी।