101 साल पुराने खूबसूरत वादियों से घिरे मुरमसिल्ली बांध में पर्यटन को नहीं मिल पा रहा बढ़ावा
एशिया का एक मात्र सायफन सिस्टम वाला है बांध, साढ़े 5 टीएमसी है बांध की जल संग्रहण क्षमता
गिनती के लोग पहुंचते है इस ऐतिहासिक बांध का दीदार करने, सुविधाओं का विस्तार कर किया जा सकता है पर्यटकों को आकर्षित
धमतरी. धमतरी जिले में स्थित मुरमसिल्ली बांध का इतिहास गौरवशाली व ऐतिहासिक है। बांध प्राचीन होने के साथ ही खूबसूरत वादियों से घिरा हुआ है। यहां पर्यटकों को सुकुन मिलता है। लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण पर्यटन बदहाल है। इस खूबसूरत बांध में रोजाना गिनती के लोग ही दीदार करने पहुंचते है। जबकि इसकी तुलना में गंगरेल बांध में रोजाना सैकड़ो हजारों लोग पहुंचते है।
बता दे कि महानदी की सहायक नदी सिलयारी पर मुरमसिल्ली बांध बना है। इसका निर्माण ब्रिटिशराज की एक गर्वनर मैडमसिल्ली की देखरेख में किया गया था। जिनके नाम पर इसका मूल नाम रखा गया है। सन 1914 में उक्त बांध का निर्माण प्रारंभ हुआ और 9 साल बाद 1923 में बांध बनकर तैयार हुआ यह सायफन स्पिलवे वाला एशिया का पहला बांध है। इनमें पानी निधार्रित मात्रा से अधिक होने पर बांध के स्पिलवे गेट अपने आप खुल जाता है। उक्त बांध धमतरी जिले से लगभग 24 किलोमीटर दूर है। जाने हेतु पक्की सड़क है। बाउजूद इसके उक्त बांध में पर्यटकों की संख्या काफी कम रहती है। राजनांदगांव से संजय साहू अपने परिवार के साथ मुरुमसिल्ली बांध पहुंचे थे। उन्होने कहा कि बांध प्राकृतिक वादियों के बीच है। यहां सुकुन का अहसास होता है। बांध काफी खूबसूरत है। लेकिन सुविधा और सुरक्षा के नाम पर कुछ भी नहीं है। यदि यहां पर्यटन सुविधाओं का विस्तार किया जाये तो निश्चित ही पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी यहां बोटिंग, होटल, रिसार्ट अन्य फन एक्टिविटी फिश एक्वेरियम, संग्रहालय, प्रतिक्षालय, दुकाने आदि की सौगात मिले तो पर्यटक यहां भी पहुंचेंगें। मुरमसिल्ली बांध को बने 101 वर्ष हो चुके है। बाउजूद इसके बांध की मजबूती कायम है। बांध की जल संग्रहण क्षमता लगभग साढ़े 5 टीएमसी है। वर्तमान में बांध में लगभग 1 टीएमसी पानी है।
1923 में बना था मात्र 31 लाख में
मुरमसिल्ली बांध का कैंचमेंट एरिया 484.330 स्वायर किलोमीटर है। निर्माण के दौरान 15 गांव डूब प्रभावित हुए। बांध की स्टोरेज पानी का उपयोग सिंचाई हेतु किया जाता है। 1914 में शुरु होकर 1923 में बांध का निर्माण पूरा हुआ। जिसकी लागत 31 लाख 17 हजार 537 रुपये थी। यदि इस बांध को सही से संवारा जाये तो बांध में न सिर्फ पर्यटक बढ़ेंगे शासन को राजस्व भी प्राप्त हो सकता है। एशिया के इकलौते साइफन सिस्टम बांध मुरुमसिल्ली की जल संग्रहण क्षमता 5.839 टीएमसी है। अच्छी बारिश से जब बांध 100 प्रतिशत भर जाता है। ऐसे में 36 साइफन से ऑटोमेटिक पानी का डिस्चार्ज होने लगा है। साइफन सिस्टम से हो रहे पानी डिस्चार्ज का नजारा लेने लोग यहां पहुंचते हैं। उल्लेखनीय है कि मुरुमसिल्ली बांध से जिले के 52 हजार हेक्टेयर खेतों को पानी मिलता है।
इस तरह काम करता है साइफन सिस्टम
बांध में 36 गेट हैं। अंतिम छोर पर 2 बेबी साइफन (गेट) हैं, जिनकी ऊंचाई 34 गेटों से 6 इंच ज्यादा है। कुल जलभराव क्षमता 5.839 टीएमसी है। बांध में इतना पानी भर जाने पर पहले बेबी साइफन हवा के दबाव से सीटी बजाने लगते हैं। इसके बाद चौकीदार इसके ढक्कन को हल्का सा हिलाता है, तब साइफनिक एक्शन (हवा का दबाव) से दोनों बेबी गेट खुल जाते हैं। जैसे ही पानी का स्तर 34 साइफन गेट तक पहुंचता है, ये सारे गेट भी अपने आप खुल जाते हैं।