वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति नहीं दिखा रहे गंभीरता, व्यर्थ बह जाता है करोड़ो लीटर बरसाती पानी
जल संरक्षण को बढावा देने भूजल स्तर बनाये रखने अनिवार्य है वाटर हार्वेस्टिंग
धमतरी।साल दर साल भूजल स्तर गिरते जा रहा है। कई बोर, कुएँ हैंण्डपंप आदि सूखते जा रहे है। बाउजूद इसके भूमिगत जल संरक्षण पर गंभीरता नहीं दिखाया जा रहा है। यह उदासीनता हमारे आने वाली पीढियों के लिए काफी घातक साबित हो सकता है। बता दे कि नगर निगम अन्तर्गत भवन व्यवसायिक परिसर, औद्योगिक क्षेत्र बनाने के पूर्व अनुमति ली जाती है। जिसमें विभिन्न शर्तो के साथ वाटर हार्वेस्टिंग कराना भी अनिवार्य किया गया है। लेकिन इसका पालन अधिकांश लोगों द्वारा नहीं किया जाता नतीजन सालों से वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य होने के बाद भी काफी कम स्थानों पर बनाया गया है। जिसके चलते करोड़ो लीटर बारिश का पानी व्यर्थ ही बह जाता है। खराब हो जाता है और संरक्षित नहीं हो पाता है। इससे वाटर लेवल बनाये रखने में मद्द नहीं मिल पाती। निगम द्वारा जिनके लिये वाटर हार्वेस्टिंग बनाना अनिवार्य होता है। उनसे भवन अनुज्ञा के साथ ही एक अमानत राशि निगम में जमा कराया जाता है। ताकि यदि भवन निर्माणकर्ता द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग न बनाया जाये तो उस अमानत राशि से निगम स्वयं वाटर हार्वेस्टिंग बना सकें। और यदि निर्माणकर्ता द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग बनाया जाये तो उक्त अमानत राशि को वापस लौटाया जाता है। गत वर्ष निगम द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग की जानकारी लेकर पड़ताल की गई थी। लेकिन इस साल विशेष प्रयास नजर नहीं आ रहा है।
क्या होता है वाटर हार्वेस्टिंग
वर्ष जल को उपयोग हेतु संगृहित करना ही रैन वाटर हार्वेस्टिंग होता है। इसके भी कई प्रकार होते है। उदाहरण के लिये नदी तालाबों बांधो में वर्ष का जल संग्रहित कर बाद में आवश्यकतानुसार उपयोग करना भी एक प्रकार जल संचयन है। वहीं रुफटफ भी एक प्रकार वाटर हार्वेस्टिंग होता है। जिससे भी वर्षा के जल को टंकियों में भरकर उपयोग किया जाता है। लेकिन निगम अन्तर्गत रैन वाटर हार्वेस्टिंग निर्माण थोड़ा अलग होता है। इसमें वर्षा जल को सीधे भूमि के भीतर पहुंचाया जाता है। इस विधि में एक स्थान पर सोखता (गड्ढा) बनाया जाता है। जहां पाईप के माध्यम से वर्षा जल को सीधे भूमिगत किया जाता है। बता दे कि सभी निर्माणकर्ताओं के लिए वाटर हार्वेस्टिंग बनाना अनिवार्य नहीं होता। एक बड़े क्षेत्र बड़े एरिया में बनने वाले औद्योगिक, व्यवसायिक क्षेत्र में यह अनिवार्य होता है। शेष कम क्षेत्रफल वाले निर्माण में इसकी छूट रहती है।