रोका छेका अभियान ठप्प, फसल को नुकसान पहुंचा रहे मवेशी
नरवा, गरवा, घुरवा और बारी योजना का बुराहाल, गौठानों में वीरानी, मवेशी कर रहे है खुले में विचरण
शहर के भीतर वार्डो में भी आवारा मवेशियों के झुंड व बढ़ती संख्या से परेशान है शहरवासी
धमतरी । पूर्व में जब कांग्रेस सरकार प्रदेश में थी तब महत्वकांक्षी नरवा, गरवा, घुरवा अऊ बारी योजना की शुरुवात की गई थी। शुरुवात में इस योजना को बड़े जोर शोर से प्रदेश में प्रमोट किया गया इसके कई तत्कालीन व कई दूरगामी लाभ बताये गये इस योजना से गांव गरीब और किसान को अनेक लाभ बताये गये लेकिन यह योजना पूरी तरह सफल नहीं हो पाई और जब सरकार बदल चुकी है योजना का बुरा हाल है यह योजना नाम की रह गई है। योजना के तहत रोका छेका अभियान चलाया गया है। जिसमें आवारा मवेशियों को पकड़ कर गौठानों में रखा जाता था। कुछ मवेशियों को उनके मालिक छुड़ा कर ले जाते थे और बाकी मवेशियों को गौठानों पर रख कर उनके चारा पानी की व्यवस्था की जाती थी। लेकिन यह योजना न तब सफल हो पाई और न अब हो पा रही है। रोका छेका अभियान बंद पड़ा है। मवेशी खुले में विचरण करते रहते है। कई बार तो मवेशी शहर के आसपास व ग्रामीण क्षेत्रो की खेतो में भी प्रवेश कर फसलों को चट कर रहे है। इससे किसान की लागत मेहनत और उम्मीदों पर पानी फिर जाता है। दिन के साथ साथ रात में शहर के मवेशियों का कुछ झुंड आसपास के गांवो की ओर रुख कर जाता है। इससे भी खेतो में फसल सुरक्षित नहीं है। शहर में भी रोका छेका अभियान की आवश्यकता महसूस हो रही है। आवारा मवेशियों की संख्या बढ़ती जा रही है। मुख्य मार्गो से लेकर बाजार दुकानों गली मोहल्लों में आवारा मवेशियों का जमघट लगा रहता है। कई बार मवेशियों की लड़ाई में नुकसान आम जनता को उठाना पड़ता है। दुकानों के सामान और बाहर बड़ी वाहनों को अक्सर आवारा मवेशी नुकसान पहुंचाते रहते है। कई बार लोग भी इनके कारण घायल हो जाते है।
बता दे कि सरकार से कंही ज्यादा दोषी पशुओं का दोहन करने वाले पशु पालक है। जिनके द्वारा ऐसे मवेशियों को ही रखा जाता है। जो आय का जरिया बने उन्हें भी दूध निकालकर खुला छोड़ देते है। जबकि जिन मवेशियों से उन्हें कोई लाभ नहीं दिखता उन्हें आवारा भटकने के लिए हमेशा के लिए खुला छोड़ देते है। इनके सिर्फ मवेशियों के दोहन की सोच का खामियाजां व परेशानी आम जनता को भुगतना पड़ता है।