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बार-बार बेमौसम बारिश से ईंट कारोबार को हो रहा भारी नुकसान

उत्पादन में आई गिरावट, क्वालिटी भी हो रही प्रभावित

खराब मौसम के चलते उत्पादन कम डिमांड हुई ज्यादा, दाम में हुई बढ़ोत्तरी
धमतरी । मकान भवन निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण मटेरियल ईंट होता है। लेकिन ईंट के दाम लगातार बढऩे लगे है। कारण मौसम में खराबी को बताया जा रहा है। बार-बार बारिश से ईंट कारोबार को काफी नुकसान हो रहा है। इसका खामियाजा निर्माणकर्ताओं को भी उठाना पड़ेगा। बता दे कि शासन प्लाईएश ब्रिक्स (ईट) को प्रदूषण कम करने सालों से बढ़ावा दे रही है, लेकिन आज भी लोग प्लाईऐश के स्थान पर लाल ईटों के उपयोग को तव्वजो देते है। पिछले कुछ सालों से कंट्रक्शन क्षेत्र में बूम आया है। इसका एक बढ़ा कराण प्रधानमंत्री आवास योजना को भी माना जा रहा है। जिसके कारण ईंट व अन्य भवन निर्माण सामाग्रियों की डिमांड काफी बढ़ गई है। ईंट इनमें प्रमुख है। लेकिन लाल ईंट कारोबार इन दिनों घाटे में चल रहा है। दरअसल पकाने के पहले सूखाया जाता है। और इसी दौरान यदि बारिश हो जाये तो ईंट को भट्टी में पकाने के बाद भी मजबूत नहीं रह जाता है। भूरभूरा हो जाता है। बारिश के कारण ईंट का उत्पादन तो काफी प्रभावित हुआ है साथ ही क्लालिटी भी खराब हुई है। बता दे कि मार्च माह से अब तक कई बार मौसम ने करवट ली है। जिसके कारण ईंट भट्टा संचालित करने वालों को नुकसान उठाना पड़ा है। मौसम में बार-बार बदलाव का असर भवन निर्माणकर्ताओं को भी नुकसान के रुप में उठाना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि ईंट के दामो में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोत्तरी हो गई है। आने वाले बारिश के दिनों में दाम और बढ़ सकते है। यह बढ़ोत्तरी उत्पादन में कमी के कारण हो रहा है. वर्तमान में 4300 से 4500 हजार तक ईंट के भाव है। जो पहले 3500 के करीब था। आने वाले समय में भाव और बढ़ सकते है। मौसम में खराबी के साथ ही ईंट निर्माण की सामाग्रियों के दाम में भी बढ़ोत्तरी हुई है। इस कारण दाम में तेजी से उछाल है। मजदूरी भूसा, ट्रांसपोर्टिंग, आदि के दाम बढ़े है। इसलिए ईट के दाम भी बढ़े है।

 


अधिकांश ईट भट्टे है अवैध
ज्ञात हो कि जिले में सैकड़ो ईट भट्ठे सालों से धधक रहे है। लेकिन अधिकांश भट्ठे बिना लायसेंस व अनुमति से चल रहे है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार जिम्मेदार अधिकारी इन पर कार्रवाई क्यों नहीं करते? भट्ठो में बाहर से मजदूर लाकर काम कराया जाता है। कई बार इनका आर्थिक रुप से शोषण भी होता है। भट्ठो के अवैध संचालित होने से शासन को सालों से राजस्व का नुकसान हो रहा है। अधिकारियों की अनदेखी से यह सब होता रहा है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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