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वाटर लेवल गिरा 3.50 मीटर, बंद हुए 740 हैंडपंप

जिले का औसत वाटर लेवल रहता है 17.70 मीटर बढ़कर हुआ 21.20 मीटर

भू-जल के अंधाधुन दोहन और बरसाती पानी को सदुपयोग नहीं करने बढ़ता जा रहा जल संकट


आशीष मिन्नी
धमतरी. गर्मी के मौसम में साल दर साल जल संकट गहराता जा रहा है। और यदि इसी प्रकार स्थिति बनी रही तो आने वाले कुछ सालों में स्थिति गंभीर हो सकती है। ज्ञात हो कि अप्रैल माह की शुरुवात में जिले का औसत वाटर लेवल 19 मीटर पर था। लेकिन अगले एक महीने में जिले का वाटर लेवल बढ़ कर 21.20 मीटर हो गया है। इस प्रकार एक ही महीने में दो मीटर से ज्यादा वाटर लेवल नीचे चला गया है। यह चिंतनीय है। बता दे कि वाटर लेवल नीचे जाने से कई हैंडपंप और बोर सूख चुके है। मिली जानकारी के अनुसार धमतरी जिले में 740 हैंडपंप सूख चुके है। एक माह पूर्व इनकी संख्या 505 थी। इस प्रकार एक माह में ही दो सौ से अधिक और हैंडपंप सूख गये। धमतरी जिले में कुल 10 हजार 93 हैंडपंप है जिनमें से 740 बंद पड़े है। इनमें 39 पंप सामान्य कारणों से सूखे है। जबकि शेष वाटर लेवल नीचे चले जाने के कारण बंद पड़े है।
गर्मी के मौसम में स्थिति गंभीर हो चुकी है। भू जल स्तर के लगातार नीचे चले जाने का प्रमुख कारण पानी के अनियमित व अंधाधुन दोहन है। इसके अतिरिक्त बरसाती पानी के संचयन और सदुपयोग नहीं करना है। यदि लोग अपने घरो भवन, दुकानों में वाटर हार्वेस्ंिटग अनिवार्य रुप से कराये तो बड़ी मात्रा में वर्षा के जल को सीधे भूमिगत किया जा सकता है। जिससे वाटर लेवल रिचार्ज होगा। और इसका लाभ भविष्य में हमे ही मिलेगा।
मगरलोड ब्लाक की स्थिति ज्यादा खराब
जिले में मगरलोड ब्लाक की स्थिति जल संकट के मामले में ज्यादा खराब है। जिले में बंद पड़े 740 हैंडपंपो में सबसे ज्यादा मगरलोड ब्लाक में 266 हैंडपंप है। वहीं धमतरी में 247, कुरुद में 91 हैंडपंप बंद है। यदि वाटर लेवल की बात की जाये तो मगरलोड क्षेत्र में ही सबसे ज्यादा 21.20 मीटर नीचे चला गया है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन द्वारा बोर खनन पर मानसून आगमन तक रोक लगाया गया है। साथ ही 22 मार्च से जिले को जल अभावग्रस्त घोषित किया गया है।


बांधो की स्थिति भी है खराब
गर्मी के मौसम में जल संकट बढ़ता गया। आधे प्रदेश को पानी सप्लाई करने वाला धमतरी जिला खुद जल संकट से जूझ रहा है। जिले के बांधो की स्थिति भी खराब है। मुरमसिल्ली बांध खाली हो चुका है। यहां के बचे थोड़े पानी को गंगरेल लाया गया था। गंगरेल बांध जिसकी क्षमता 32.150 टीएमसी है। इसमें भी वर्तमान में मात्र 4 टीएमसी ही उपयोग पानी शेष है। शेष सोंढुर और दुधावा बांध को मिलाकर जिले में अब मात्र साढ़े 6 टीएमसी उपयोग पानी शेष है।
कलेक्टर नम्रता गांधी जल संकट को लेकर है गंभीर, चला रही जल जगार अभियान
कलेक्टर नम्रता गांधी द्वारा जिलेवासियों को जल की महत्ता बताने भविष्य को ध्यान में रखते हुए जल जगार अभियान चलाने का निर्णय लिया। जिसके तहत 21 मई से कुरुद के थूहा से जल जगार अभियान की शुरुवात की गई जो कि 5 जून तक चलेगा। इसके तहत विभिन्न आयोजनों के माध्यम से जल के एक एक बंूद के महत्व को समझाया जायेगा। वृक्षारोपण, जल स्त्रोतो की सफाई, स्ट्रक्चर, रैनवाटर हार्वेस्टिंग, वेस्ट वाटर रिचार्ज स्ट्रक्चर आदि की जानकारी दी जायेगी ताकि भविष्य में गंभीर जल संकट से जूझना न पड़े।
वनों की कटाई, औद्योगिकी व कांक्रीटीकरण भी कारण
वाटर लेवल के लगातार नीचे जाने के कई कारण है। जिनमें वनों की अंधाधुन कटाई भी एक बड़ा कारण है। वन मिट्टी को बांधे रखता है। वाटर लेवल बनाये रखने वर्षा कराने में सहायक होता है। वहीं औद्योगिकी कारण, और कांक्रीटीकरण के कारण भी वाटर लेवल गिरता जा रहा है। वर्षा को वाटर क्रांकीटीकरण के कारण भूमि तक नहीं पहुंच पाता और वाटर लेवल रिचार्ज नहीं हो पाता। इसके अतिरिक्त दुरुपयोग अत्याधिक पानी की आवश्यकता वाले फसलों की ज्यादा खेती सहित कई अन्य कारण वाटर लेवल नीचे जाने का है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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