चालीहा महोत्सव के 13 वें दिन चालीसा पाठ एवं सत्संग का आयोजन
प्रेम भाव से ही भक्त से भगवान प्रसन्न होता है
धमतरी। रमेशकुमार चुगानी परिवार द्वारा आचार्य सद्गुरु स्वामी टेऊँराम जी महाराज के चालीहा महोत्सव के 13 वें दिन के चालीसा पाठ एवं सत्संग के कार्यक्रम का आयोजन श्री प्रेम प्रकाश आश्रम में किया गया। आचार्यश्री के द्वारा रचित दोहा की महिमा का गुणगान किया गया। प्रेम प्रकाश मण्डल के तृतीय पीठाधीश्वर सद्गुरु स्वामी शान्ति प्रकाश जी महाराज के सानिध्य में एवं उनके सत्संग में संगीत के साज हारमोनियम बजाने की सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पित करने वाले सन्त श्री श्यामलाल जी के द्वारा प्रेम के भाव को लेकर भजन की रचना की है। इस भजन को सन्त लोकेश जी एवं रायपुर से आए बृजलाल नानवानी ने मधुर संगीत एवं सुरताल के साथ गाकर बताया कि प्रेम ही जगत में सार है इसके बिना जीवन फीका है नीरस है कोई अगर धनवान तो है पर उसके पास प्रेम नही है तो उसका कोई महत्व नहीं है वह प्रेम के बिना रूखा लगता है प्रेम रूपी धन जिसके पास है वही सच्चा धनवान है संसार में जितने भी रिश्ते-नाते हैं उन रिश्तों में प्रेम की महत्ता से ही मधुरता अपनत्व होता है।
प्रेम के बिना सगा भाई भी दीगर-पराया लगता है। भाई भाई के रिश्ते में भी अपनापन नहीं होता जिस मनुष्य के पास प्रेम पूर्वक बात करने की कला है एवं दूसरों के द्वारा की गई गलतियों के लिए उदारता पूर्वक क्षमा कर सभी के सुख को देख कर मन प्रसन्न होता है दूसरों के दु:ख में उसका मन द्रवित होता है वह महान है यह बनावटी प्रेम से संभव नही हो पाता ऐसा केवल सच्चे प्रेम के कारण ही संभव है ऐसे सच्चे प्रेम से ईश्वर प्रसन्न होते हैं प्रेम के बिना ईश्वर को कुछ भी पसंद नहीं है प्रेम भाव से ही भक्त से भगवान प्रसन्न होता है प्रेम ही परमात्मा को प्रसन्न करने का मूल मंत्र है अत: प्रभु से प्रार्थना कर प्रेम का ही वरदान मांगना चाहिए।