लाखों की लागत का ई टायलेट बना शोपीस, नहीं हो रहा इस्तेमाल
10 साल पहले नगर निगम द्वारा तहसील आफिस के पास लगाया गया था
बायोडिग्रेडेबल और पर्यावरण हितैषी है शौचालय लेकिन लोगों ने उपयोग में नहीं दिखाई रुचि
धमतरी । नगर निगम द्वारा लगभग 20 लाख की लागत से साल 2014 में ई टायलेट तहसील कार्यालय के पास लगाया उम्मीद थी कि लोग इसका उपयोग करेंगे और लाखों की लागत वसूल होगी। साथ ही सुविधा भी मिलेगी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया आज 10 सालों बाद भी ई टायलेट शोपीस बनकर खड़ा है। बता दे कि जब नगर निगम द्वारा इसे लगाया गया तो तहसील कार्यालय के पास स्थल चयन किया गया। दरअसल यहां तहसील थाना गांधी मैदान व अन्य कार्य कराने वालों की रोजाना भीड़ उमड़ती है। इसलिए इस स्थान का चयन किया गया बाउजूद इसके ई टायलेट का उपयोग करने लोगो ने रुचि नहीं दिखाई। शुरुवात में 5 रुपये का सिक्का डालने पर ई टायलेट का दरवाजा खुलता था लोगो का रिस्पांस नहीं मिलने पर बाद में इसे फ्री कर दिया गया। फिर भी लोगों ने इसका उपयोग नहीं किया। इसलिए आज 10 सालों के बाद भी यह ई टायलेट उपयोगविहीन बना हुआ है। यह टायलेट बायोडिग्रेडबल था। साफ सुथरी गंधहीन प्रक्रिया और सस्ते रखरखाव वाली उपयोगी शौचालय था। इस शौचालय के टैंक में विशेष बैक्टिरया डाला गया था जो मानव अपशिष्ट को नष्ट कर देता था लेकिन अशिक्षित और कम जानकार लोग इस शौचालय का उपयोग समझ नहीं पाये। ई टायलेट के फ्लाप होने का एक और कारण बताया जा रहा है कि भीड़भाड़ वाले सार्वजनिक स्थान पर होने के कारण लोग इस शौचालय का उपयोग करने में शर्मिंदगी महसूस करते थे। इसलिए भी लोगो ने इससे दूरी बना ली।
उपयोग के लिए प्रेरित करने नहीं दिया गया ध्यान
10 साल बाद भी लोग ई टायलेट का उपयोग नहीं करते। यदि शुरुवात में ही नगर निगम द्वारा लोगों को ई टायलेट का फायदा बता कर इसके उपयोग के प्रति जागरुक व प्रेरित किया जाता तो शायद आज स्थिति कुछ अलग होती। ई टायलेट उस दौर में शहर के लिए नई चीज थी। लोग इसके बारे में जानते नहीं थे। इसके फायदे व सुविधायें बताकर उपयोग बढ़ाने का प्रयास हो सकता था। लेकिन निगम द्वारा 5 रुपये के सिक्के की अनिवार्यता को समाप्त कर इतिश्री कर ली।
” ई टायलेट का लाभ जनता को सुचारु रुप से मिले इस दिशा में प्रयास किया जाएगा। साथ ही लोगों में इसके उपयोग के प्रति जागरुकता लाने कार्य करेंगे। ÓÓ
पीसी सार्वा
उपायुक्त नगर निगम धमतरी