गंगरेल बांध में बचा मात्र 6 प्रतिशत उपयोगी पानी
32.150 टीएमसी जल भराव क्षमता वाले बांध में मात्र 6.8 टीएमसी है जलभराव
खराब है बांधो की हालात, सोंढुर, दुधावा में भी जल भराव कम, माडमसिल्ली सूखा
धमतरी। धमतरी सहित आसपास के कई जिलों के लिए जीवनदायिनी कहे जाने वाले गंगरेल बांध की स्थिति लगातार खराब होते जा रही है। मानसून में देरी से अब बांध सूखने के कगार पर आ गये है। जिससे मानसून की दस्तक से जलभराव की उम्मीद बढ़ी है।
ज्ञात हो कि गंगरेल बांध प्रदेश का जल भराव क्षमता के हिसाब से दूसरा सबसे बड़ा बांध है। गंगरेल बांध की क्षमता 32.150 टीएमसी की है। जहां वर्तमान में मात्र 6.8 टीएमसी ही पानी बचा है। इसमें बांध का 5.071 टीएमसी पानी अनुपयोगी होता है। जिसे डेड स्टोरेज कहा जाता है। इस प्रकार बांध में लगभग 1.7 टीएमसी पानी ही उपयोगी शेष रह गया है। यह बीते कई सालों की तुलना में सबसे कम स्टोरेज है। इससे स्पष्ट है कि बांधो की स्थिति कितनी नाजुक है। बांध सेें न सिर्फ सिंचाई बल्कि पेयजल, मत्स्याखेट, पर्यटन व भिलाई स्टील प्लांट नसंचालित होता है। इसलिए इस बहुउद्देशीय परियोजना के लिए बांध का भरना अत्यंत आवश्यक है। बता दे कि गत वर्ष मानसून उम्मीद के अनुरुप नहीं रहा नतीजन बांध भर नहीं पाया और उसके बाद साल भर बांध के स्टोरेज पानी का उपयोग किया गया इसलिए बांध की स्थिति खराब हो चुकी है। वर्तमान में मानसून अब सक्रिय हो रहा है। ऐसे में बांध में पानी की आवक का इंतजार बढ़ता जा रहा है।
इसी प्रकार जिले के अन्य बांधो सोंढुर व दुधावा, माडमसिल्ली की स्थिति भी जल भराव के मामले में ठीक नहीं है। दुधावा बांध की क्षमता 10.032 टीएमसी की है जहां वर्तमान में 1.4 टीएमसी पानी उपयोगी है। यहां से गंगरेल बांध के लिए 90 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। वहीं सोंढुर बांध की क्षमता 6.342 टीएमसी की है। जिसमें 0.6 टीएमसी ही उपयोगी पानी बचा है। माडमसिल्ली में तो सूखे की स्थिति काफी पहले बन चुकी है। ऐसे में जिले के बांधो को लबालब होने अच्छी मानसून की आवश्यकता है। पिछले कुछ दिनों में कुछ स्थानों पर छुटपुट वर्षा प्री मानसून के चलते हुई है। लेकिन इससे बांधो में पानी की आवक नहीं हो सकती इसलिए मानसून के अच्छी तरह से सक्रिय होने का इंतजार है।