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जितना पाप अधर्म बढ़ता है उतना पुण्य एवं धर्म भी बढ़ता है – संत लोकेश

प्रेम प्रकाश आश्रम में चालीहा महोत्सव के 23 वें दिन हुआ चालीसा पाठ व सत्संग का आयोजन

धमतरी। सद्गुरु टेऊँरामनगर में स्थित श्री प्रेम प्रकाश आश्रम में जारी चालीहा महोत्सव के 23 वें दिन का चालीसा पाठ एवं सत्संग का आयोजन एक गुरुभक्त ने अपने परिवार के द्वारा गुप्त रूप से कराया जिसमें सत्संग के दौरान संत लोकेश जी ने आचार्य सद्गुरु स्वामी टेऊँराम जी महाराज के द्वारा दी गई शिक्षा समय का सदुपयोग करने पर प्रकाश डालते हुए बताया कि आज चालीहा महोत्सव को 23 दिन हो गए ये खुशियों एवं उमंग भरे दिन ऐसे बीते कि कुछ मालूम ही नहीं पड़ा।

यह कलयुग का समय चल रहा है आप भाग्यशाली हैं जो सत्संग का आपको लाभ मिल रहा है सत्संग का आयोजन अन्य युगों में नहीं होता था अन्य युगों में गुरुकुल तो होते थे लेकिन सत्संग जैसा सरल साधन नहीं था यह केवल कलयुग में ही सम्भव है,आए दिन सत्संग के बड़े बड़े पंडालों में आयोजन होते रहते हैं, कलयुग में जितना ज्यादा पाप अधर्म नीचता के कर्म हो रहे है उतना ही ज्यादा धर्म के कार्य, सत्संग, भंडारे, विभिन्न सेवा कार्य धर्म के अनुष्ठान आदि कार्य भी हो रहे हैं क्योंकि पाप और पुण्य साथ साथ चलते हैं जितना पाप अधर्म बढ़ता है उतना पुण्य एवं धर्म भी बढ़ता है यह जो अभी कलयुग चल रहा है वह अन्य युगों में सबसे छोटा है कलयुग की उम्र 4 लाख 32 हज़ार वर्ष है जबकि अभी कलयुग को मात्र 5000 वर्ष हुए हैं इससे चार गुना अधिक उम्र सतयुग की एवं तीन गुना त्रेता युग की एवं दो गुना उम्र द्वापर युग की बीत चुकी है इतना समय बीत चुका है तथा इसी रफ़्तार से आज भी बीत रहा है सतयुग में पुण्य प्रधान था जबकि कलयुग मे पाप प्रधान है एवं प्रबल है इससे हम मानुष चोले वाले जीवों को बचना है इस जीवन में हमें अपने समय का सदुपयोग करना है सेवा एवं सत्संग के द्वारा जीवन को हंसते हुए गुजारना है हंसी सत्संग एवं सेवा भाव अन्य योनियों में नहीं हैं पशु पक्षी कीट पतंग सर्प आदि अनेक 84 लाख योनियों में ये नहीं मिलेंगी इस मनुष्य की योनी को हमें सेवा एवं सिमरन सत्संग से अपने जीवन के अमूल्य समय को सफल करना चाहिए।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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