बच्चों को संस्कारी बनाने परिवार की अहम भूमिका
विमल टॉकीज में सुदर्शन स्मृति व्याख्यान माला का आयोजन, स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त थे मुख्य वक्ता
धमतरी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पंचम सरसंघचालक सुदर्शन जी की स्मृति में आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त ने कहा कि मूल्य आधारित परिवार व्यवस्था शक्ति है, परिवार भारत देश की धुरी है। विमल टॉकीज में सुदर्शन प्रेरणा मंच द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. प्रभात गुप्ता, प्रांत संघचालक टोपलाल वर्मा, कार्यक्रम संयोजक श्याम अग्रवाल एवं सुदर्शन प्रेरणा मंच के अध्यक्ष मोहन पवार मंच पर उपस्थित थे। मुख्यवक्ता रामदत्त ने स्व. सुदर्शन जी का स्मरण करते हुए कहा कि वे संन्यासी थे, संकल्प के पक्के थे। संघ के जिस विभाग को धारण किया वहां नए नए आयाम जोड़े। भारतीय परिवार व्यवस्था की शक्ति विषय पर बोलते हुए मुख्य वक्ता ने कहा कि भारत का अतीत गौरवशाली रहा है। प्रसिद्ध कवि मैथिलीशरण गुप्त ने भारत को भूलोक की संज्ञा दी। भारत ऐसा तब था जब भारत की कुटुंब व्यवस्था मजबूत थी। भारत में जीवन मूल्य विकसित हुआ, वह हमारे परिवार में देखने को मिलता है। इस कारण माता, पिता, दादा, दादी, ताऊ, ताई के साथ मिल कर रहते थे। यह संस्कार दुनिया के परिवार व्यवथा में दिखाई नहीं देता है।
आज पश्चिमी देशों में हथियार लेकर स्कूल जाते हैं, शिक्षक को गोली मार देते हैं। गोलीबारी में प्रतिवर्ष 40 हजार बच्चे मारे जाते हैं। अमेरिका में पिताहीन बच्चों को संख्या लगातार बढ़ रही है। भारत में ऐसी स्थिति नहीं है, यहां परिवार में बच्चों को चरित्रवान, संस्कारवान बनाया जाता है। ग्रीक के यात्री मेगास्थनीज लिखते हैं कि भारत के लोग चरित्रवान हैं। अंग्रेज अधिकारी मैकाले भी ब्रिटिश संसद में यही बात कहता है। इसलिए अंग्रेजों ने इसी शक्ति तोड़कर यहां अपना शासन स्थापित करना चाहते थे। भारत की रीढ़ थी कुटुंब व्यवस्था। आज परिवार टूट रहा है, ऐसा हुआ तो करोड़ों मकान बनाने पड़ेंगे। परिवार में माताओं के बचत करने की आदत, सोना रखने की परंपरा केवल भारत में 22 हजार टन सोना का भंडार बना हुआ है। मूल्य आधारित परिवार व्यवस्था भारत की शक्ति है। प्राचीन काल से परिवार में माता का सम्मान रहा है, इस देश में परस्त्री को माता मानते हैं। भावी पीढ़ी को संस्कार देने के लिए पहल अपने घर से करना होगा, इसके लिए सभी को अपने लिए संकल्प लेना होगा। परिवार मजबूत होगा, एक एक परिवार किला बनाएगा तब भारत राष्ट्र भी शक्तिशाली होगा। भारत की शक्ति सामूहिकता में है। इसलिए हम सभी को पांच संकल्प लेना है। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि नगर के चिकित्सक डॉ. प्रभात गुप्ता ने कहा, संयुक्त परिवार से व्यक्ति को शक्ति मिलती है, इससे सांस्कृतिक, आध्यात्मिक उत्थान भी होता है। बच्चों का विकास भी समग्र होता है। यह हमारी विरासत है, विदेशों में भी संयुक्त परिवार की आवश्यकता महसूस की जा रही है। कार्यक्रम की प्रस्तावना मोहन पवार ने रखी। उन्होंने कहा कि पू. सुदर्शन जी का जन्म रायपुर में हुआ, उन्होंने अपने प्रचारक जीवन की यात्रा छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला से हुई। उन्होंने अपना देह भी रायपुर में त्यागे, उनका छत्तीसगढ़ से गहरा लगाव था। इसलिए इनकी स्मृति को सहेजने के लिए 2014 में सुदर्शन प्रेरणा मंच का गठन कर प्रतिवर्ष राष्ट्रीय व्याख्या का आयोजन किया जनता है। एकल गीत की प्रस्तुति रोनित सहारे ने दी। आभार प्रदर्शन श्याम अग्रवाल ने किया कार्यक्रम का संचालन चेतना रणसिंह ने किया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के छत्तीसगढ़ प्रांत प्रचारक अभयराम, सह प्रांत कार्यवाह गोपाल यादव, कार्यक्रम संयोजक श्याम अग्रवाल, रामचंद देवांगन, निर्मल बरडिय़ा, मोहन साहू, राकेश साहू, मनोज कश्यप, ठाकुर राम, घनश्याम साहू, लक्ष्मण मगर, धनेश्वर निर्मलकर, सरोज देवांगन, विजय ठाकुर, सागर निर्मलकर, वीरेन्द्र साहू, राहुल जैन, नेमिचंद बैस, डाकेश्वर साहू, योगेंद्र साहू, चित्रेश साहू, मानव यादव, आयुष साहू, गौरव मगर, बीथिका विश्वास, पोषण साहू, रामलखन गजेंद्र, जितेंद्र यदु, नोहर साहू, रौनित सहारे, निलेश राजा, रमेश साहू आदि उपस्थित थे।