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छात्रों के बस्ते का बोझ कम करने में शासन, प्रशासन सहित नागरिकों की है अहम जिम्मेदारी-यशंवत देवान

यशंवत देवान प्रांतीय अध्यक्ष पेंशनर्स एसोसियेर्शन छ.ग. ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि छात्रों के रोज लाने ले जाने वाले बस्ता का बढता बोझ चिंता कर विषय है बच्चों के कम उम्र में ही बोझ होने का आदत चिंतनीय हैं । पीठ एवं कंधे पर दीर्घकालीन बुरा प्रभाव अवश्यभावी है. शासन, प्रशासन एवं सभी बुद्विजीवी आम जनता इस चिंतनीय विषय पर गंभीर प्रयास करें बस्ता का बोझ कम कराना एक जरूरी कदम है,। इसके लिए प्रारंभिक तौर पर शासन प्रशासन तत्काल कदम उठाकर शालाओं में सख्त निर्देश जारी करे कि छात्र पाठ्यपुस्तकों को शाला न ले जावें पाठ्यपुस्तकें छात्रों की संदर्भ सहायक साम्रगी है जो घर पहुंचकर दिनभर शाला में जो पढ़ाया जाता है। उससे मिलाकर घर में अभ्यास करें शिक्षक छात्रों को पढ़ाने के पहले तैयारी कर ले पुस्तकों का वाचन कक्षा में न करें पाठ की विषयवस्तु चित्रों एवं रोचक पंसशों के माध्यम से कक्षा में छात्रों के मन में जिज्ञासा पैदा करे, आज हर शिक्षक प्रशिक्षित है प्रशिक्षण डी.एड. बी.एड. में यही शिक्षका पद्धति कर प्रशिक्षण दिया जाता है शिक्षकों से अपील है कि शिक्षा में रोचकता, गुणवक्ता, एवं उपलब्धि हेतु शिक्षक ही प्रांरभिक पहले करें । बुद्धिजीवी नागरिक शासन का ध् यान इस गंभीर, विषय पर अवश्य लावें ताकि होनहार भविष्य बस्ते के बोझ से न दबे । वर्तमान में पढ़ाई जा रही शिक्षा ही बोभिल है एवं दैनिक जीवन के लिए अनुपयोगी भी है।प्राथमिक शिक्षा पूर्ण किये कितने बच्चे माध्यमिक शिक्षा पूर्ण कर पाते है हाई स्कूल, हायर सेकेन्डरी में प्राथमिक शिक्षा पूर्ण किये कितने प्रतिशत छात्र होते है । उच्च शिक्षा तकनीकि मेडिकल की पढ़ाई पूर्ण किये छात्रों की संख्या प्रारंभिक शिक्षा की पूर्णता से गहन अध्ययन गंभीर चिंतन की नितांत आवश्यकता है । छत्तीसगढ़ बनने के पहले शिक्षा गारंटी योजना चलाया गया जिसमें परिस्थिति बच्चों के शाला जाने के पहले व्यवहारिक ज्ञान को आधार मानकर आगे को ज्ञान
विकसित किया जाता रहा उपलब्धि यह कि ऐसी शालाओं में पढ़ने वाला हर विद्यार्थी न केवल प्राथमिक शिक्षा पूर्ण कर उतीर्ण होता था अपितु प्रत्येक विद्यार्थी प्रथम श्रेणी में उतीर्ण हुये । आज वर्तमान स्थिति में एक किसान का बेटा, खेती से बिमुख है प्रारंपरिक व्यवसाय से नागरिक का बच्चा बोझिल शिक्षा पूर्ण करने कोचिंग ट्यूशन के बिना अपंग है ।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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