Uncategorized

वाटर हार्वेस्टिंग के प्रति नहीं दिखा रहे गंभीरता, व्यर्थ बह जाता है करोड़ों लीटर बरसाती पानी

जल संरक्षण को बढ़ावा देने भूजल स्तर बनाये रखने अनिवार्य है वाटर हार्वेस्टिंग

इस साल जिले का औसतन ग्राउंड वाटर लेवल चला गया था 21 मीटर तक नीचे, उत्पन्न हुआ था गंभीर जल संकट
धमतरी। साल दर साल भूजल स्तर गिरते जा रहा है। कई बोर, कुएं हैण्डपंप आदि सूखते जा रहे है। इस साल गर्मी के मौसम में जिले में औसतन वाटर लेवल 21 मीटर तक नीचे चला गया था। जिससे गंभीर जल संकट उत्पन्न हुआ। बाउजूद इसके भूमिगत जल के संरक्षण पर गंभीरता नहीं दिखाया जा रहा है। यह उदासीनता और लापरवाही हमारे आने वाली पीढिय़ों के लिए काफी घातक साबित हो सकता है। बता दे कि नगर निगम अन्तर्गत भवन व्यवसायिक परिसर, औद्योगिक क्षेत्र बनाने के पूर्व अनुमति ली जाती है। जिसमें विभिन्न शर्तों के साथ वाटर हार्वेस्टिंग कराना भी अनिवार्य किया गया है। लेकिन इसका पालन अधिकांश लोगों द्वारा नहीं किया जाता नतीजन सालों से वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य होने के बाद भी काफी कम स्थानों पर वाटर हार्वेस्टिंग बनाया गया है। जिसके चलते करोड़ों लीटर बरसाती पानी भूमिगत संग्रहण नहीं हो पाता पानी व्यर्थ ही बह जाता है। इससे वाटर लेवल बनाये रखने में मदद नहीं मिल पाती। निगम द्वारा जिनके लिए वाटर हार्वेस्टिंग बनवाना अनिवार्य होता उनसे भवन अनुज्ञा के साथ ही एक अमानत राशि निगम में जमा कराया जाता है। ताकि यदि भवन निर्माणकर्ता के वाटर हार्वेस्टिंग नहीं बनवाने पर निगम उस अमानत राशि से भवन में सिस्टम को लगवा सके। लेकिन विडम्बना है कि इस कार्य में भी निगम पिछड़ा हुआ।
जल जगार के माध्मय से जागरुकता का प्रयास
कलेक्टर नम्रता गांधी के नेतृत्व में जिला प्रशासन द्वारा जल जगार अभियान चलाया गया। शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रो में लोगों को जल संरक्षण के उपाय व महत्व बताया गया। अभियान के तहत वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के प्रति भी जागरुकता लाई गई। लोगों को यह बताया जा रहा है कि इससे भविष्य में जल संकट की स्थिति उत्पन्न नहीं होगी। बता दें कि समझाईश और निर्देश के बाद भी यदि निर्माणकर्ताओं द्वारा सिस्टम नहीं बनवाया जाता तो निगम सिस्टम तैयार कराती है। लेकिन इसमें भी शत् प्रतिशत कार्य नही ंहो पाता।


क्या होता है वाटर हार्वेस्टिंग
वर्षा जल को उपयोग हेतु संग्रहित करना ही रैन वाटर हार्वेस्टिंग होता है। इसके कई प्रकार के हो सकते हैं। उदाहरण के लिए नदी-तालाबों बांध में वर्षा का जल संग्रहित कर बाद में आवश्यकता अनुसार उपयोग करना भी एक प्रकार का जल संचयन है वहीं रूफ टफ भी एक प्रकार का वाटर हार्वेस्टिंग होता है। जिससे भी वर्षा के जल को टंकियों आदि में संग्रहित किया जाता है। फिर नलों के पाईप लाईन के माध्यम से इसका घरों, प्रतिष्ठानों में उपयोग किया जाता है। लेकिन निगम अन्तर्गत रैन वाटर हावेस्टिंग निर्माण थोड़ा अलग होता है। इसमें वर्षा जल को सीधे भूमि के भीतर पहुंचाया जाता है। इस विधि में एक स्थान पर सोखता (गड्ढा) बनाया जाता है। जहां पाईप के माध्यम से वर्षा जल को सीधे भूमिगत किया जाता है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!