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कृषि उपकरणों व पशुधन की पूजा व नीम पत्ती लगाकर मनाया गया हरियाली पर्व

हरियाली पर गेड़ी चढऩे की प्रथा को प्रदान की जा रही संजीवनी

धमतरी। छत्तीसगढ़ का प्रथम पर्व हरेली आज हर्षोउल्लास के मनाया जा रहा है। मान्यताओं के अनुसार हरियाली पर्व से ही हिन्दू पर्वो की शुरूवात होती है। हरियाली पर्व का कृषि वर्ग में विशेष महत्व रखता है। आज के दिन किसानो द्वारा कृषि उपकरणों की साफ-सफाई का पूजा अर्चना की जाती है। वहीं कृषि योग्य पशुओं की भी पूजा की जाती है।

आज सुबह से ही छोटे बच्चों द्वारा घर-घर पहुंच कर नीम की टहनी दरवाजे पर लगाई गई और दान लिया गया। माना जाता है कि हिन्दू धर्म के अनुसार पर्वो की शुरूवात हरेली से होती है। इस दिन तक किसान अपने फसल की बुआई कार्य पूरा कर कृषि औजारों की साफ-सफाई कर अगले वर्ष के लिए संरक्षित रख दिया जाता है। हरेली पर घर-घर पंारपरिक रीति-रिवाज से आराध्य देवों की पूजा कर व्यंजन बनाया जाता है।
अंध विश्वास के चलते घर से निकलने में परहेज


हरेली के दिन ऐसी मान्यता है कि जादू टोना का प्रभाव बढ़ जाता है। इसलिए अधिकतर किसान शाम ढलते ही घर के भीतर रहना ही पसंद करते है। साथ ही ग्रामीण अंचलों में घर के दरवाजे पर गोबर से मानव नुमा आकृति बनायी जाती है। और ऐसी मान्यता है कि ऐसी आकृति बनाने से घर को बुरी नजर नहीं लगती साथ ही नीम पत्ता लगाने से घर के सदस्य बीमारियों से दूर रहते है। गांव में रावत व नाई घर-घर नीम की टहनियां लगाने पहुंचते है और दान प्राप्त करते है। बुजुर्गो के अनुसार पहले हरियाली पर्व पर गेढ़ी चढऩे का अपना अलग ही क्रेज था। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक पहले गेढ़ी चढ़ कर उत्साह से हरियाली पर्व मनाते थे लेकिन आधुनिकता के दौर में यह पंरपरिक प्रथा अब विलुप्त होने की कगार पर थी। अब शहरी क्षेत्रों साथ ही ग्रामीण इलाकों में गेढ़ी चढऩे की परम्परा को राज्य सरकार द्वारा संजीवनी प्रदान किया जा रहा है।

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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