श्री आदिश्वर जिनालय में हुआ श्री शक्रस्तव महाअभिषेक
आज का दिन वीर माताओं को याद करने का दिन है जिन्होंने अपने सपूतों को देश के लिए कुर्बान कर दिया -विशुद्ध सागर जी म.सा.
आज आस्था पूजा तपोत्सव के अंतर्गत श्री आदिश्वर जिनालय में आराध्य की आराधना के अंतर्गत श्री शक्रस्तव महाअभिषेक का कार्यक्रम परम पूज्य उपाध्याय
प्रवर महेंद्र सागर जी म.सा. आध्यात्मयोगी परम पूज्य मनीष सागर जी म.सा. के शिष्य रत्न युवा संत परम पूज्य विशुद्ध सागर जी म.सा. आदि ठाना 3 की पावन निश्रा में मुंबई से आए हुए गायक कुशल जैन,संचालक राहुल जैन द्वारा सम्पन्न कराया गया। त्रिदिवसीय कार्यक्रम का आयोजन श्रीमती पूजा धनराज लूनिया के महामृत्युंजय तप ( मासक्षमण तप) कु.आस्था लूनिया सुपुत्री धनराज लूनिया के 18 उपवास के उपलक्ष्य में ताराचंद मूलचंद लूनिया परिवार की ओर से किया गया है।
परम पूज्य विशुद्ध सागर जी म.सा.ने आज के प्रवचन में कहा कि आज का दिन भारत की आजादी का दिन है। आज का दिन बलिदानियों के बलिदान को याद करने का दिन है। आज का दिन वीर माताओं को याद करने का दिन है जिन्होंने अपने सपूतों को देश के लिए कुर्बान कर दिया। ये देश की आजादी का पर्व है। इसके साथ ही हमे प्रयास करना है की हम आत्मा की आजादी का पर्व मना सके। अब हमे कर्मो से अपनी आत्मा को स्वतंत्र करने के लिए पुरुषार्थ करना है। इसके लिए सबसे पहले हमे उन महापुरूषों को याद करना है जिन्होंने अपने पुरुषार्थ के बल पर अपनी आत्मा को मोक्ष रूपी आजादी दिला दी। ज्ञानी भगवंत कहते है पता नहीं हम कब से इस शरीर की गुलामी कर रहे है। पर अब प्रयास करना है की अपनी आत्मा को आजादी दिलाने का। संसार से आजादी तो हम सबको पसंद है किंतु उसके लिए उचित पुरुषार्थ भी करना होगा। तभी उचित परिणाम अपेक्षित हो सकता है। स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हमे आज विचार करना है की हम स्वतंत्रता चाहते है या स्वच्छंदता । क्योंकि स्वतंत्रता चाहने वाला हमेशा अनुशासन में रहकर अपने कर्तव्यों का अपने दायित्वों का पूरा पालन करता है। जबकि स्वच्छंदता चाहने वाला कभी भी अनुशासन में नहीं रहता। अपना जीवन अपनी मर्जी से जीना चाहता है। और ऐसे लोग अपना जीवन बर्बाद कर लेते है। ऐसे लोगो को अनुशासन पसंद नही होता ।ये लोग अनुशासन को गुलामी की तरह मानते है। जबकि अनुशासन हमारे जीवन को संयमित करता है। सही दिशा प्रदान करता है । अतः हमे भी इस आजादी का महत्व समझते हुए अपने जीवन को अनुशासित और संयमित करने का प्रयास करना है।