प्रकृति की गोद में स्थित सोंढुर बांध में नजारे है आकर्षक लेकिन पर्यटन को नही मिल पा रहा बढ़ावा
धमतरी। जिले में कई पर्यटक स्थल है जिनमें एक सोंढुर बांध भी है। जिला मुख्यालय से इसकी दूरी लगभग 90 किमी है यहां के नजारे मन को सुकुन देते है। पर्यटक यहां पहुंचते है। लेकिन पर्यटन को बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है। सुविधाओं की भी दरकार है।
ज्ञात हो कि सोंढुर बांध प्रकृति की गोद में बसा एक बहुत ही सुंदर आकर्षक बांध है। जिसके नजारे मन और आंखो को सुकुन पहुंचाते है। बांध में साल भर पर्यटकों का आवागमन होता है विशेष कर बरसात और ठंड के मौसम में यहां का मौसम और प्रकृति के नजारे मनमोहक होते है। लेकिन यहां पहुंचने वाले पर्यटकों को निराशा होती है। इतना आकर्षक बांध प्रशासनिक उदासीनता का दंश झेल रही है। यहां पर्यटकों के सुविधाओं का ख्याल नहीं रखा जाता। मूलभूत सुविधायें भी जैसे पेयजल मूत्रालय शौचालय, अच्छा भोजन या नाश्ते की व्यवस्था भी नहीं मिल पाती। साथ ही यहां बच्चों के मनोरंजन के लिए झूले फिसलपट्टी या अन्य कोई साधन नहीं है। यहां सुसज्जित उद्यान की भी दराकार है जहां पर्यटक थोड़ा समय परिवार के साथ बिता सकें, पिकनिक कर सकें। यदि उक्त सुविधाओं का विकास सोंढुर बांध क्षेत्र में किया जाये तो निश्चित ही बांध पर्यटन के नक्शे पर तेजी से उभरेगा।
बांध के चारो ओर हरियाली की छटा बिखरी हुई है। बांध के समीप मुचकुंद ऋषि पर्वत है। अथाह पानी का संग्रहण होता है। जिससे दृश्य काफी मनोरम हो जाता है। यहां न सिर्फ धमतरी बल्कि कांकेर, बस्तर, कोंडागांव, नारायणपुर, दुर्ग, रायपुर भिलाई, राजनांदगांव, गरियाबंद सहित प्रदेश के अन्य हिस्सो से लोग पहुंचते है। लेकिन सुविधाओं की कमी उन्हें खलती है। बांध में सुरक्षा व्यवस्था भी भगवान भरोसे है। शाम ढलते ही यहां आवाजाही बंद हो जाती है। कुछ शराबी किस्म के लोग पहुंचते है। कैमरे और गार्ड की आवश्यकता है।
वाटर स्पोर्टस को बढ़ावा देने की मांग
स्थानीय लोगो ने चर्चा के दौरान बताया कि जिस प्रकार गंगरेल पर्यटन को तेजी से विकसित किया जा रहा है। उसी प्रकार सोंढुंर बांध में भी पर्यटन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। यदि गंगरेल की तर्ज पर बांध में वाटर स्पोट्र्स को बढ़ावा दिया जाये तो यहां भी पर्यटकों की संख्या बढ़ सकती है। बता दे कि सोंढुर बांध में 6.995 टीएमसी जल भराव की क्षमता है। वर्तमान में लगभग 5.354 टीएमसी जल भराव है। जो लगभग 75 फीसदी है। वाटर स्पोट्र्स को बढ़ावा देने के संबंध में कई दिक्कते भी है। यहां गर्मी के मौसम में पानी की मात्रा काफी कम हो जाता है। साथ ही जिला मुख्यालय से दूरी काफी ज्यादा होने के कारण पर्यटक गंगरेल की तुलना में काफी कम पहुंचते है। यहां आसपास रात में ठहरने हेतु अच्छा होटल, या रेस्टोरेंट भी नहीं है इसलिए पर्यटक यहां तुलनात्मक रुप से कम पहुंचते है।
बांध एक नजर में
:- नदी-सोंढुर नदी
:- बांध स्थल – मेचका
:- जल संग्रहण क्षेत्र – 512 वर्ग किमी
:- बांध स्थल तक नदी की लम्बाई – 34 किमी
:- बांध स्थल पर नदी की चौड़ाई – 120 मीटर
:- सम्पूर्ण जल भराव क्षमता – 6.995 टीएमसी
:- गैर उपयोगी जल भराव क्षमता – 0.653 टीएमसी
:- उपयोग जल भराव क्षमता – 6.342 टीएमसी
:- कुल सैंच्य रुपाकिंत क्षमता – 34470 हेक्टेयर
:- बांध की चौड़ाई – 4.57 मीटर
:- बांध की लम्बाई – 3138.75 मीटर
:- अधिकतम ऊंचाई – 26.70 मीटर