हम साल में एक बार संवतसरी प्रतिक्रमण कर सभी से माफी जरूर मांगते है यह जैन धर्म की विशेषता है – विशुद्ध सागर जी म.सा.
श्रावक श्राविकाओ द्वारा संवत्सरिक प्रतिक्रमण कर मांगी गई 84 लाख योनियों से क्षमा
कल प्रात: 10 बजे से श्री पाश्र्वनाथ जिनालय से आदिश्वर जिनालय तक निकलेगी भव्य वरघोड़ा
धमतरी। परम पूज्य विशुद्ध सागर जी म.सा.ने कहा कि जैन धर्म दुनिया का एक मात्र धर्म है जो साल में एक दिन अपने द्वारा जाने अनजाने में किए गए गलती की क्षमायाचना करता है। तन, मन या वचन से प्रत्यक्ष या परोक्ष कोई भी गलती हुई है तो उसके लिए सभी को कम से कम साल में एक बार अवश्य माफी मांग लेना चाहिए। क्योंकि अगर हम सालभर में भी अपने गलतियों की माफी नही मांगेंगे तो वह निकाचित कर्म बन जायेगा। और उसे भोगना ही पड़ेगा। और कर्म सत्ता कभी भी किसी को नहीं छोड़ती। पूरी दुनिया में जैन धर्म की ये विशेषता है की हम साल में एक बार संवतसरी प्रतिक्रमण करके सभी से माफी जरूर मांगते है। माफी मांगते समय यह नही देखना चाहिए की सामने वाला मुझसे बड़ा है या छोटा। क्योंकि माफी मांगने वाला कभी छोटा नही होता। और माफ कर देने वाले से बड़ा कोई उदार हृदय नही होता। आज हमे अपने अंतर्मन को साफ करना है और इस मन में परमात्मा को विराजमान करने का प्रयास करना है। शनिवार को सभी श्रावक श्राविकाओ द्वारा संवत्सरिक प्रतिक्रमण किया गया। उसके बाद पूरे श्रीसंघ ने 84 लाख योनियों से, यहां विराजित गुरुभगवंतों से समस्त श्रीसंघ से खमतखामना की गई। वहीं आज तपस्वियों के बहुमान का कार्यक्रम धनकेशरी मंगलभवन में आयोजित किया गया। पांच सिद्धि तप के तपस्वी, एक मासखमन एवं 50 से अधिक अ_ाई की तपस्या के तपस्वियों का बहुमान किया गया।
कल सोमवार को अक्षयनिधि, समावशरण, विजयकषाय एवं मोक्ष तप के तपस्या के तपस्वियों का सम्मान उसके बाद भव्य वरघोड़ा प्रात: 10 बजे श्री पाश्र्वनाथ जिनालय से निकलेगी एवं आदिश्वर जिनालय पहुंचकर सम्पन्न होगी। उक्त समस्त कार्यक्रम परम पूज्य उपाध्याय प्रवर श्री महेंद्र सागर जी म.सा. एवं परम पूज्य मनीष सागर जी म.सा.के शिष्यरत्न परम पूज्य युवासंत विशुद्ध सागर जी म.सा. आदि ठाणा तीन की निश्रा में संपन्न होगा।