शत् प्रतिशत जल भराव के बाद एशिया के एकमात्र सायफन सिस्टम वाले माड़मसिल्ली बांध के सभी 34 गेट स्वमेव खुले
बांध का खूबसूरत नजारा निहारने बड़ी संख्या में पहुंच रहे है पर्यटक
धमतरी। पिछले दो दिनों से केचमेंट एरिया में हो रहे झमाझम बारिश से एक बार फिर से बांधों के जलस्तर में इजाफा होने लगा है।
ब्रिटिश शासनकाल में बना एशिया का इकलौता सायफन सिस्टम बांध के लबालब होने के बाद स्वचलित सायफन गेट से स्वत: पानी का डिस्चार्ज शुरु हो गया है। सायफन गेट व सुलुज गेट से करीब 10 हजार क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज हो रहा है, जो कि सिलियारी नदी से बहते हुए सीधे गंगरेल जलाशय में पहुंच रहा है। ज्ञात हो कि विगत दो दिनों से कैचमेंट एरिया में हो रही लगातार बारिश से बांध में पानी की आवक बढऩे लगी। पूरी तरह सूख चुके माड्मसिल्ली बांध अब लबालब हो चुका है। जिसके पश्चात सायफन सिस्टम वाले गेट से पानी का डिस्चार्ज हो रहा है। 5.718 टीएमसी उपयोगी पानी समेत 5.839 टीएमसी कुल जलभराव क्षमता वाला यह बांध भीषण गर्मी के चलते अप्रैल माह में ही पूरी तरह से खाली हो चुका था। बांध के सुलुज गेट से 2 हजार क्यूसेक पानी प्रति सेकण्ड नदी में छोड़ा जा रहा था। लेकिन आवक अधिक होने के कारण शाम 5 बजे तक बांध में 100 फीसदी से अधिक जलभराव हो गया और बांध के सभी 34 सायफन सिस्टम गेट स्वत: ही खुल गये। ये पानी सिलियारी नदी में बहते हुए सीधे गंगरेल बांध में पहुंच रहा है, जिससे गंगरेल के जलस्तर में भी इजाफा हो रहा है। सायफन सिस्टम वाले गेट खुलने से माड्मसिल्ली बांध का नजारा आकर्षक हो गया है। जिसे निहारने काफी संख्या में सैलानी दूरदराज से पहुंच रहे है।
1923 में ब्रिटिश शासनकाल में हुआ था माड़मसिल्ली बांध का निर्माण
ज्ञात हो कि लगभग 100 साल पूर्व सन 1923 में ब्रिटिश शासनकाल में माड़मसिल्ली बांध का निर्माण कार्य पूरा हुआ था। एशिया का पहला व इकलौता सायफन सिस्टम बांध कहे जाने वाले माड़मसिल्ली बांध की खासियत है कि इस बांध में जैसे ही जलभराव 100 फीसदी से अधिक होता है वैसे ही स्वचलित सायफन गेट स्वयं ही खुल जाते है और नदी में पानी का डिस्चार्ज शुरु हो जाता है। बांध से जिले के 52 हजार हेक्टेयर खेतो को पानी दिया जाता है।