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गार्डन, मैदान, तालाब किनारे बच्चे व युवा कर रहे गांजा, सिलोशन, बोनफिक्स का नशा

शराब के साथ सूखा नशा बन रहा घातक, नशे में चोरी, लूट, चाकूबाजी जैसी अपराधों को दे रहे अंजाम

आसानी से उपलब्ध हो रहा सीरप, नशीली गोलियां, नशे के सौदागरों पर नहीं हो रही प्रभावी कार्रवाई
धमतरी। शहर में युवा व बच्चे भी जिनकी उम्र 12 वर्ष के आसपास या ज्यादा है वो भी शराब के साथ सूखा नशा कर रहे है और इसके लिए मैदानों, उद्यानो, और तालाब किनारे इनका जमावड़ा लगा रहता है वे वर्तमान और भविष्य खराब करने उतारु है।
ज्ञात हो कि शहर के अधिकांश तालाब किनारे, मैदानों में युवाओं का जमावड़ा लगता है। यहां ग्रुप में नशा करने उनके द्वारा ठिकाना बनाया गया है। पहले लोग ज्यादातर शराब का नशा करते थे, लेकिन अब नशे के तरीके बदल गये है जो कि घातक साबित हो रहा है। युवा शराब से ज्यादा सूखा नशा जैसे गांजा का सेवन कर रहे है। गांजा पीने के बाद भी यदि नशा पूरा न हो तो बोनफिक्स सिलोशन के माध्यम से नशा करते है। कुछ लोगों द्वारा कफ सीरफ पीकर भी नशा करते है। वहीं कुछ ऐसे भी है जो माचिस की तिली को जलाकर उससे निकलने वाले धुए को सूंघ कर नशा करते है। इसके अतिरिक्त नशीली गोलियों के माध्यम से भी युवा नशे के शौक पूरे करते है। बता दे कि इस प्रकार के नशा करने और एक साथ कई प्रकार के नशा करने के बाद युवाओं को होश नहीं रहता अपने मदमस्त रहते है। नशा ऐसा होता है कि नशे की हालात में किसी की जान भी ले सकते है। उन्हें अच्छे बुरे का ख्याल नहीं रहता है। न ही भविष्य व सजा का कोई डर होता है। नशे की हालत में युवाओं को दर्द भी नहीं के बराबर होता है। इसलिए कई बार स्वयं को व दूसरों को भी घायल कर देते है। अब सवाल उठता है कि इन पर लगाम कैसे लगाया जाये। पुलिस समय-समय पर इनके इलाकों में पहुंचती है लेकिन खुले में होने के कारण दूर से पुलिस के आने की जानकारी हो जाती है। इसलिए भाग जाते है। फिर थोड़ी देर में पुन: वापस लौट जाते है। अभी यदि पुलिस इन्हें पकड़ भी लेती है तो कार्रवाई कम ही होती है। ज्यादातर समझाईश फटकार और चेतावनी देकर छोड़ दिया जाता है। इसलिए हौसले बुलंद रहते है।


पुलिस के साथ परिवार की है जिम्मेदारी
ज्यादातर मामले में नशापान की लत छुड़ाने या उन्हें नशे से दूर करने में परिवार ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। अक्सर देखा जाता है परिजनों को यह पता ही नहीं होता कि उनका लड़का कंहा किसके साथ बैठ रहे है। क्या कर रहा है? जानकारी होने पर भी इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जाता। पुलिस पकडऩे पर कार्रवाई कर सकती है लेकिन नाबालिग होने ज्यादातर समझाईश देकर छोडऩा पड़ता है। सटीक सूचना तंत्र से नशेडिय़ों के अड्डेबाजी वाली जगहों पर लगातार दबिश देकर कार्रवाई की जा सकती है। इससे उनके हौसले पस्त हो सकते है।
नशामुक्ति अभियान का नहीं दिख रहा असर
पुलिस द्वारा नशामुक्ति अभियान लगातार चलाया जा रहा है। जिसके तहत नशापान के नुकसान बताकर इससे दूर रहने की समझाईश दी जा रही है। लेकिन इसका विशेष सकारात्मक असर नजर नहीं आ रहा है। जो युवा इस अभियान में शामिल रहे है शायद वो भी इसे औपचारिकता के तौर पर ले रहे है। ऐसे में पुलिस के साथ समाज और परिवार को स्वयं आगे आकर अपने बच्चों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
गांजा, सीरप, नशीली गोलियों की बिक्री पर रोक नहीं
नशे के अवैध साधनों पर पुलिस रोक लगाने का प्रयास तो करती है लेकिन अभी भी खुलेआम इनकी बिक्री हो रही है। शहर के सभी गंजेडिय़ों को इसकी जानकारी है लेकिन पुलिस अंजान है। इसमें संदेह व्यक्त किया जा सकता है वहीं बिक रहे सीरफ और नशीली दवाईयां व पुलिस के साथ ड्रग विभाग द्वारा प्रभावी कार्रवाई की जा सकती है लेकिन इस ओर विशेष ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसलिए इनकी लत बढ़ती जा रही है।

”अड्डेबाजी कर नशा करने वाले ज्यादातर नाबालिग है उन्हें समझाईश दी जा रही है। एक टीम बनाई गई है जो विशेष कर संदिग्ध क्षेत्रो में जाकर जांच कर रही है। जल्द ही कलेक्टर के माध्यम से ड्रग विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर नशीली दवाईयां की बिक्री के संबध चर्चा कर नशे के अवैध साधनों पर रोक लगाने का प्रयास किया जायेगा। ÓÓ
आंजनेय वाष्र्णेय
एसपी, जिला धमतरी

Ashish Kumar Jain

Editor In Chief Sankalp Bharat News

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