बलरामपुर घटना को लेकर कांग्रेसियों ने किये कई सवाल खड़े
प्रदेश के बलरामपुर जिले में पुलिस अभिरक्षा एवं पुलिस प्रताड़ना से हुई मौत तथा प्रदेश में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर कांग्रेसियो ने रविवार शाम गांधी मैदान में प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री का पुतला दहन कर जमकर विरोध प्रदर्शन किया उपरोक्त घटना पर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष शरद लोहाना, विधायक ओंकार साहू, अंबिका मरकाम, महापौर विजय देवांगन, जिला पंचायत अध्यक्ष कांति सोनवानी, पूर्व विधायक गुरूमुख सिंह होरा, डॉ लक्ष्मी ध्रुव, हर्षद मेहता, लेखराम साहू, प्रत्याशी कुरुद विधानसभा तारिणी चंद्राकर, जिला पंचायत उपाध्यक्ष नीशू चंद्राकर, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्षगण आकाश गोलछा, घनश्याम साहू, कैलाश प्रजापति, अखिलेश दुबे, भूषण साहू, डीहूराम साहू, आशीष शर्मा, राजू साहू, महिला कांग्रेस अध्यक्ष घामेश्वरी साहू, शास्त्री सोनवानी, युवा कांग्रेस अध्यक्ष नरेंद्र सोनवानी, एनएसयूआई जिला अध्यक्ष राजा देवांगन, सेवादल जिलाध्यक्ष होरीलाल साहू ने संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कई तथ्य रखे जिसमे बलरामपुर में पुलिस की कस्टडी में एक युवक गुरूचरण मंडल की मौत हो गयी। पुलिस का दावा है कि मृतक गुरूचरण की मौत बाथरूम में फांसी लगाने से हुई है। सारे तथ्य बताते है बलरामपुर में युवक गुरूचरण मंडल की मौत पुलिस की पिटाई से हुई है। मृतक जिसकी पत्नी 29 सितंबर को लापता हो गई थी। गुरुचरण मंडल को उसके पिता के साथ उसकी पत्नी के लापता होने के संबंध में पूछताछ के लिए पुलिस स्टेशन बुलाया गया था। मृतक के परिजनों का कहना है कि पुलिस ने 4 दिनों से उसे तथा उसके पिता को थाने बुलाया था तथा 4 दिनों से उसे थाने में हिरासत में रखा था।पिछले 20 दिनों से उनकी बहू लापता है और अपने बेटे के साथ तीन दिनों से हिरासत में है । पुलिस ने उनको बेरहमी से पीटा। बलरामपुर पुलिस की वजह से उन्होंने अपने बेटे को खो दिया। कांग्रेस ने सवाल किया है कि किसी भी व्यक्ति को पुलिस 24 घंटे से अधिक समय तक हिरासत में नहीं रख सकती। गुरुचरण मंडल, उनके पिता तथा एक अन्य को चार दिनों तक थाने में हिरासत में क्यों रखा गया ? 24 घंटे के भीतर कोर्ट में क्यों प्रस्तुत नहीं किया गया ? मृतक के पास टॉवेल (तौलिया) कहां से आया जबकि उसके पिता का कहना है उसके पास कोई टॉवेल नहीं थी ? मृतक के शरीर का पंचनाम परिजनों व परिचितों के सामने क्यों नहीं किया गया ? मृतक के परिजन शव को दफनाने की मांग कर रहे थे, पुलिस जलाना क्यों चाहती थी, हालांकि बाद में दबाव के कारण दफनाया गया। मृतक के शव को थाने से अस्पताल ले जाते उसके पिता ने देखा लेकिन उसके मौत की जानकारी थाने में उनको क्यों नहीं दिया गया ?
इस मामले पर कांग्रेसियों ने निम्न मांग किया है. इस मामले की उच्च न्यायालय के जज की निगरानी में जांच कराया जाये। इस पूरे मामले में पुलिस अधीक्षक, एसडीओपी तथा टीआई की भूमिका संदिग्ध है, उन सबके खिलाफ तत्काल कार्यवाही की जाये। मृतक के शरीर का डॉक्टरों का दल बना कर फिर से पोस्टमार्टम कराया जाये। मृतक के परिवार को 1 करोड़ मुआवजा दिया जाये। प्रदेश की बिगड़ती कानून व्यवस्था की नैतिक जिम्मेदारी लेकर मुख्यमंत्री इस्तीफा दे, गृह मंत्री को बर्खास्त किया जाये।