मां अंगारमोती के दरबार में लगा भव्य मंडई, उमड़ी हजारों की भीड़
मातृसुख से वंचित महिलाएं मन्नत एवं आस्था के साथ दूर-दूर से पहुंची माता के दरबार में अर्जी लेकर
धमतरी। हर साल की भांति इस साल भी दीपावली के बाद प्रथम शुक्रवार को गंगरेल में आदिशक्ति मां अंगारमोती माता की मंडई-मेला का आयोजन किया गया। मडई-मेला मे आसपास एवं डूबान क्षेत्र के देवी-देवताओं का आगमन हुआ। मंडई-मेला देखने हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ रही। बता दे कि मातृसुख से वंचित महिलाएं भी अपनी मन्नत एवं आस्था के साथ अंगारमोती माता के दर्शन के लिए दूर-दूर से आकर माता जी से अर्जी प्रार्थना की। आदिशक्ति मां अंगारमोती ट्रस्ट की ओर से मंडई को लेकर व्यापाक तैयारी की गई थी। सुबह से ही लोगो का तांता मां अंगारमोती के दरबार में लगना शुरु हो गया। सैकड़ो महिलाओं ने जमीन पर लेटकर संतान प्राप्ति के लिए देवी देवताओं से आशीर्वाद प्राप्त किया। गंगरेल में आज हजारों की भीड़ के चलते वाहनों की भारी कतार लग गई। भीड़ को देखते हुए पुलिस द्वारा मंदिर परिसर से काफी दूर वाहनों को पार्क कराया गया। अधिष्ठात्री देवी माँ अंगारमोती का आशीर्वाद लेने हजारों की संख्या में भक्त पहुंचे। बता दे कि आदिशक्ति माँ अंगारमोती के प्रति अटूट श्रद्धा एवं विश्वास का महापर्व है देव मड़ई और माँ अंगारमोती के पावन प्रांगण में मड़ई मेला का आयोजन पश्चात ही प्रदेश में बड़े मेलों का आयोजन प्रारंभ होता है, प्रतिवर्ष इस पारंपरिक मड़ई मेले से वनांचल क्षेत्र में आस्था श्रद्धा और विश्वसनीयता और प्रगाढ़ होती है और सदियों से चल रही इन परंपराओं को जीवंत रखा गया है। उल्लेखनीय है कि गंगरेल में मां अंगारमोती मेला मड़ाई महोत्सव पर समिति द्वारा ग्रामीणों के सहयोग से रात्रिकालीन कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया है।
नि:संतान दम्पत्तियों की सूनी गोद भरती है मां अंगारमोती
मान्यता है कि जहां विज्ञान कुछ नही समझ पाया और जहां डॉक्टर फेल हो गए, वहां माता अंगारमोती ने चमत्कार दिखाते हुए नि:संतान दम्पत्तियों की मनोकामनाएं को पूरी की है। मड़ई में शामिल होने और माता का आशीर्वाद लेने अंचल ही नहीं बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य के विभिन्न जिलों के अलावा दिगर राज्यों से भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते रहे है। इसके पीछे वजह है कि जिस भी भक्त से सच्चे मन से माता के सामने अपनी मनोकामना की है उस मनोकामना को माता ने पूरी की है। खासकर नि:संतान दम्पत्तियों की सूनी गोद को माता ने संतान का सुख देकर भरा है। बताया जाता है कि जहां पर विज्ञान को कुछ समझ नहीं आया और जहां डॉक्टर फेल हो गए, वहां पर माता ने अपना चमत्कार दिखाते हुए नि:संतान महिला को संतान का सुख प्रदान किया है, इसके कई उदाहरण भी सामने आये है। धमतरी शहर में ही सिहावा चौक के पास रहने वाले एक परिवार ने माता के चमत्कार को देखा है। यहां रहने वाले एक परिवार ने अपनी बेटी की शादी रायपुर में की थी, लेकिन शादी के 13 साल बाद भी बेटी को संतान का सुख प्राप्त नहीं हुआ। मायके और ससुराल वालों ने रायपुर, नागपुर, मुंबई और दिल्ली सहित कई बड़े शहरों में जाकर अस्पतालों में जाकर अस्पतालों में जाकर इलाज कराया, लेकिन कहीं पर भी कोई फायदा नहीं हो पाया। जगह-जगह चक्कर लगाने के बाद बेटी के पिता ने करीब 10 साल पहले माता अंगारमोती के मंदिर में माथा टेका और मन्नत मांगते हुए कहा कि उसकी बेटी को संतान का सुख मिलता है तो वह जमीन नापते हुए उनके दर्शन के लिये आयेगा। माता के मंदिर से फूल और भभूति लेकर बेटी अपने घर चली गई और एक साल के भीतर ही उसे संतान का सुख प्राप्त हो गया। इधर पिता ने माता को दिये वचन के अनुसार सिहावा चौक से दंडवत लेटते हुए यात्रा की शुरुआत की और जमीन नापते हुए लगातार 24 घंटे से अधिक समय का सफर का माता के दरबार पहुंचकर उनका आभार जताया।
52 गांव के देवी देवता हुए शामिल
मंदिर के पुजारियों के मुताबिक मां अंगारमोती ग्राम चंवर में महुआ पेड़ के नीचे पत्थर के चबूतरे में विराजमान थी, जहां हर साल दीपावली के बाद पहले शुक्रवार को मड़ई का आयोजन होता था, जिसमें 52 गांव के देवी देवता और श्रद्धालु शामिल होते थे। गंगरेल बांध बनने के बाद चंवर समेत 52 गांव जब पानी में डूब गए तब माता की मूर्ति को गंगरेल लाकर जलाशय के निकट महुआ पेड़ के नीचे ही स्थापित किया गया। वनदेवी होने के कारण माता को खुले वातावरण में रहना पसंद है। यही वजह है कि आज तक यहां मंदिर का निर्माण नहीं किया गया है।