चातुर्मास के बाद जैन गुरुओ का हुआ विहार, समाजजनों ने भावपूर्वक दी विदाई
इतवारी स्थित श्री पाश्र्वनाथ जिनालय से विहार कर पहुंचे शांतिलाल, निशांत कुमार जी लुंकड़ के अर्जुनी स्थित निवास
विहार के दौरान रास्ते भर समाजजनों ने लिया जैन गुरुओं का आशीर्वाद
धमतरी। चातुर्मास के तहत उपाध्याय प्रवर अध्यात्म योगी परम पूज्य महेंद्र सागर जी म.सा. युवा मनीषी परम पूज्य मनीष सागर जी म. सा. के शिष्य रत्न युवा संत परम पूज्य श्री विशुद्ध सागर जी म. सा का धमतरी प्रवेश हुआ इसके पश्चात चातुर्मास भर रोजाना प्रवचन व धर्मिक अनुष्ठान सम्पन्न हुए। अब चातुर्मास की समाप्ति के पश्चात आज गुरुजनों की विदाई हुई। गुरुजन इतवारी स्थित पाश्र्वनाथ जिनालय से विहार पर निकले और शांतिलाल, निशांत कुमार जी लुंकड़ के अर्जुनी स्थित निवास पहुंचे। विहार के दौरान समाजजनों द्वारा बड़ी संख्या में उन्हें भावपूर्वक विदाई दी गई। रास्ते भर गुरुजनों के दर्शन हेतु लोग कतारबद्ध खड़े रहे। बता दे कि आज सुबह पाश्र्वनाथ जिनालय में जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ की ओर से म.सा. जी को कामली वोहराई गई। संतो की विदाई के दौरान भंवरलाल छाजेड़, जैन श्वेताम्बर मूर्ति पूजक संघ के अध्यक्ष विजय गोलछा, शांतिलाल लुंकड़, राजेन्द्र लुंकड़, शिशिर सेठिया, नरेश लुंकड़, हर्षित नाहर, नीरज नाहर, नीलेश नाहर, मुकेश नाहर, अजय बरडिय़ा, धरम पारख, मोहन गोलछा, अशोक पारख, अशोक राखेचा, विरेन्द्र गोलछा, सचेत पारख, संजय लोढ़ा, निशांत लुंकड़, रोहित लुंकड़, रजत लुंकड़, संकेत पारख, विपुल राखेचा, अमित लोढ़ा, रितेश लोढ़ा, सतीश नाहर, आशीष बैद, प्रतीक बैद, राहुल पारख, कान्हा गांधी, दर्शन बैद, मनीष बरडिय़ा, अंकित बरडिय़ा, राहुल सेठिया, मनीष नाहर, कुशल चोपड़ा, ललित पारख सहित बड़ी संख्या में जैन समाजजन उपस्थित रहे।
संत स्थान से विदा हो सकते है दिल से नही – परम पूज्य श्री विशुद्ध सागर जी म. सा
परम पूज्य श्री विशुद्ध सागर जी म. सा ने आज विदाई की बेला में पत्रकारों से चर्चा के दौरान कहा कि पूजना और प्रेरणा महत्वपूर्ण होता है। पूजा करे तो प्रेरणा ले सकते है और प्रेरणा ले तो पूजा कर सकते है। लेकिन व्यक्ति बाहर के बाहर के वस्तुओ में अटक जाता है और भीतर तक पहुंच नहीं पाता। सिर्फ बाहर से साथ हमे अच्छा सकता है लेकिन जीने में व्यक्ति कमजोर पड़़ जाता है। व्यक्ति पूजा कर लेता है लेकिन प्रेरणा में रुक जाता है। वास्तविक में भगवान महावीर स्वामी ने कहा कि जो मैने कहा है वो करना है और मैने किया है वो मत करना। एक सवाल के जवाब में उन्होने कहा कि गृहस्थ जीवन में व्यक्ति रोजाना किसी न किसी की विदाई करता है इसलिए संतो की विदाई करते है। लेकिन संतो की कभी विदाई नहीं हो सकती है। संत स्थान से विदा हो सकते है दिल से नही। दिल से संतो की विदाई होगी तो व्यक्ति समाप्त हो जाएगा। उन्होने आगे कहा कि व्यक्ति की महत्वाकांक्षा और स्वार्थ व्यक्ति को जो करना है उसे भुला जाता है। और जो नहीं करना है वह कराता है। सत्य हमेशा सत्य ही रहेगा। कोई भी व्यक्ति दूसरों को दुखी कर सुखी नहीं रह सकता। लेकिन स्वयं को सुखी करना है तो दूसरों को दुखी करना बंद करना होगा। जिन शासन में व्यक्ति की नहीं गुणो की पूजा होती है। वास्तविकता में चार महीना पहले जब चातुर्मास के तहत प्रवेश हुआ तब एक नारा दिया गया था छत्तीसगढ़ की धर्म राजधानी और धमतरी से धरम तराई तक, इसे पूरा करने सभी का तन-मन-धन से सहयोग मिला। आगे भी ऐसा सहयोग मिलता रहे ऐसी शुभकामना गुरुदेव ने दी है।
आशीष जैन (मिन्नी) ने सहपत्निक गुरुदेव से भेंटकर सौंपी चातुर्मास संबंधित समाचार फाईल
चातुर्मास के दौरान चार महीने तक परम पूज्य श्री विशुद्ध सागर जी म. सा द्वारा रोजाना प्रवचन व धार्मिक अनुष्ठान सम्पन्न कराया गया। जिसे समाचार पत्रों में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया। इसी कड़ी में हाईवे चैनल सांध्य दैनिक समाचार पत्र में पूरे चातुर्मास भर समाचार का प्रमुखता से प्रकाशन किया गया। जिसकी फाईल तैयार कर आज आशीष जैन (मिन्नी) ने सहपत्निक गुरुदेव से भेंटकर सौंपी और आशीर्वाद प्राप्त किया।